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गृहस्थी संभाली, बच्चों की परवरिश की और बन गईं अफसर

अमूमन पढ़ी लिखी महिलाएं विवाह के बाद घरेलू जंजाल में फस कर रह जाती हैं। वे ध्येय भूल कर खुद को साबित करने में नाकाम रहती हैं। इस मिथक को झूठा साबित किया रामनगरी की अनुपम मौर्या ने। उनकी सफलता ऐसी महिलाओं के लिए प्रेरकपथ सरीखी बन चुकी है। अनुपम ने गृहस्थी संभालते हुए घर में बच्चों की परवरिश भी की। लक्ष्य को हासिल करने के लिए अथक परिश्रम किया.

By JagranEdited By: Published: Sat, 17 Oct 2020 05:43 PM (IST)Updated: Sat, 17 Oct 2020 05:43 PM (IST)
गृहस्थी संभाली, बच्चों की परवरिश की और बन गईं अफसर
गृहस्थी संभाली, बच्चों की परवरिश की और बन गईं अफसर

अयोध्या : अमूमन पढ़ी लिखी महिलाएं विवाह के बाद घरेलू जंजाल में फंस कर रह जाती हैं। वे ध्येय भूल कर खुद को साबित करने में नाकाम रहती हैं। इस मिथक को झूठा साबित किया रामनगरी की अनुपम मौर्या ने। उनकी सफलता ऐसी महिलाओं के लिए प्रेरक पथ सरीखी बन चुकी है। अनुपम ने गृहस्थी संभालते हुए घर में बच्चों की परवरिश भी की। लक्ष्य को हासिल करने के लिए अथक परिश्रम किया। उनके हाथ एक नहीं बल्कि दो-दो सफलताएं लगीं। वे रेंज फॉरेस्ट ऑफीसर पद चयनित हुईं तो रामनगरी स्थित ससुराल से लेकर मायके अंबेडकरनगर तक में खुशी की लहर है। अनुपम के दो बच्चे हैं। वे खुद प्राथमिक विद्यालय अकवारा में शिक्षक पद पर कार्यरत हैं। अनुपम चार बहनें थी, उन्हें लेकर पढ़ाई के निमित्त अयोध्या में रहती रहीं। परिश्रम करते करते विवाह के सात वर्ष बाद इच्छित मुकाम मिल गया। संघर्ष अनुपम ने की विरासत पिता हरिश्चंद्र व मां सुनीता से मिली।

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अनुपम बताती हैं कि यहां तक का सफर कठिन जरूर रहा लेकिन पति मंतोष मौर्या सहित ससुर रामचंद्र मौर्या व सास कुसुम मौर्या के सहयोग ने रास्ते को सहज व उत्सवी बना दिया। बच्चों का पालन पोषण व विद्यालयीय दायित्वों का निर्वहन प्रथम धर्म था, जिसे मनोयोगपूर्वक निभाती हैं। बाद में जो भी समय बचा, उसी में तैयारी करती रहीं। ईश्वर की कृपा से सफलता मिल गई। वे कहती हैं कि घर का वातावरण यदि अच्छा और सहयोगी हो, तो प्रत्येक महिला इसी तरह का अपना मुकाम हासिल कर सकती है। बस, जिज्ञासु बने रहना होगा। प्रत्येक गृहणी को आसपास के वातावरण को सकारात्मक बनाना पड़ेगा। वे अपनी सफलता का राज परिश्रम के अलावा घर के प्रतियोगी माहौल को देती हैं। अनुपम बताती हैं कि संतकबीर नगर में तैनात शिक्षक पति मंतोष मौर्या ने बहुत ही सहयोग किया। ससुर रामचंद्र मौर्या कहते हैं कि सभी परिवारों को बहुओं के प्रति सहजता व सपनों को बुनने में मदद करनी चाहिए। इससे वे सफलता का आकाश सृजित कर सकती हैं।


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