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After Verdict Ayodhya : अयोध्या बोली- नफरत के लिए मुझ में थोड़ी सी जगह भी नहीं

सुप्रीम फैसले के दो दिन बाद रामनगरी अयोध्या और नवाबों की पुरानी राजधानी फैजाबाद के चाहे जिस कोने से गुजरिए मोहब्बत का ये मंजर हर कोने में बिखरा मिलेगा।

By Dharmendra PandeyEdited By: Published: Tue, 12 Nov 2019 01:49 PM (IST)Updated: Tue, 12 Nov 2019 01:51 PM (IST)
After Verdict Ayodhya : अयोध्या बोली- नफरत के लिए मुझ में थोड़ी सी जगह भी नहीं
After Verdict Ayodhya : अयोध्या बोली- नफरत के लिए मुझ में थोड़ी सी जगह भी नहीं

अयोध्या [मुकेश पांडेय]। मुझ में थोड़ी सी जगह भी नहीं नफरत के लिए, मैं तो हर वक्त मोहब्बत से भरा रहता हूं। मिर्जा अतहर जिया ने इस कलाम को चाहे जिस संदर्भ में रचा हो पर सुप्रीम फैसले के दो दिन बाद रामनगरी अयोध्या और नवाबों की पुरानी राजधानी फैजाबाद के चाहे जिस कोने से गुजरिए, मोहब्बत का ये मंजर हर कोने में बिखरा मिलेगा।

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सरयू तट से लेकर सहादतगंज तक दस किलोमीटर की दूरी में आबाद जुड़वा शहर एकदम सहज और अपनी मौज में हैं। गोंडा की ओर से पुराने सरयू पुल से अयोध्या में प्रवेश के लिए अगर सुरक्षा कर्मियों को आईडी दिखाने के लिए रुकना न हो, तो शायद ही यह एहसास हो कि यहां की फिजाओं में आशंकाओं के बादल उमड़-घुमड़ रहे थे। रामनगरी वर्षों से सुरक्षा बलों की सजगता के बीच अपनी मस्ती में बहने की अभ्यस्त है। सरयू में वैसे ही स्नान के लिए श्रद्धालुओं की कतार और अपनी छोटी-छोटी दुकानें खोल कर बेखटके बैठे दुकानदार। मठ-मंदिरों में संतो-महंतों का पूजा-पाठ, सब कुछ पहले जैसा। हां, इतना जरूर है कि श्रद्धालुओं की संख्या में आम दिनों के मुकाबले थोड़ी कमी जरूर है।

श्रृंगारहाट, बाबूबाजार, कटरा, रानीबाजार, प्रमोदवन, रायगंज आदि मोहल्ले से गुजरते समय कहीं कोई उत्तेजना नहीं। टेढ़ीबाजार पर पान की दुकान के पास चिर परिचित अंदाज में हाजी असद एवं शैलेंद्रमणि पांडेय एक साथ खड़े गुफ्तगू कर रहे थे। फैजाबाद शहर की ओर तो सुरक्षा बलों की जांच-पड़ताल भी नदारद थी। आंख अस्पताल के पास सरदारजी चाय की दुकान में डॉ. आशीष पांडेय दीपू अपने साथी सादिक एवं सूफियान के साथ चाय की चुस्कियां ले रहे थे।

वार्ता का विषय भी मंदिर-मस्जिद न होकर जरूरतमंद को रक्त देने से जुड़ा था। रीडगंज, चौक से फतेहगंज, कसाबबाड़ा होकर रिकाबगंज पहुंचने पर मुलाकात हुई सेवानिवृत्त जिला होम्योपैथिक चिकित्साधिकारी डॉ. चंद्रगोपाल पांडेय से। वे जिला अस्पताल के होम्योपैथिक चिकित्सालय के प्रभारी डॉ. रईस के साथ इस मसले पर चर्चा कर रहे थे। उनकी नजर में इससे बेहतर फैसला हो ही नहीं सकता था।

जिला अस्पताल में भी सोमवार को मरीजों की अच्छी खासी संख्या नजर आ रही थी। फिलहाल पूरे बाजार में रफ्ता-रफ्ता रवानी लौट रही है। सब्जी, बर्तन, कपड़े की दुकान हो या अन्य जरूरी सामान की बिक्री करने वाले दुकानदान, सभी के चेहरे पर ग्राहकों की बढ़ती संख्या से संतोष का अक्स उभर रहा था। दवा के कारोबारी सुशील जायसवाल एवं हार्डवेयर व्यवसायी अनुराग वैश्य ने बताया कि अब स्थिति सामान्य हो चुकी है। लोगों के जेहन में जो आशंका थी, वह भी निर्मूल साबित हो चुकी है। 


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