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लाकडाउन बढ़ने के साथ बयां हो रही वातावरण की स्वच्छता

समुचित प्राकृतिक संभावना से युक्त और पुण्यसलिला सरयू से घिरे रामनगरी में बखूबी महसूस हो रहा वातावरण में हो रहा बदलाव

By JagranEdited By: Published: Fri, 14 May 2021 08:21 PM (IST)Updated: Fri, 14 May 2021 08:21 PM (IST)
लाकडाउन बढ़ने के साथ बयां हो रही वातावरण की स्वच्छता
लाकडाउन बढ़ने के साथ बयां हो रही वातावरण की स्वच्छता

रघुवरशरण, अयोध्या :

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लाकडाउन बढ़ने के साथ वातावरण की स्वच्छता बयां हो रही है। लाकडाउन लागू हुए पखवारा भर होने को है और इसी अनुपात में वातावरण स्वच्छ होता जा रहा है। रामनगरी जैसे अपेक्षाकृत समुचित प्राकृतिक संभावना से युक्त और पुण्यसलिला सरयू से घिरे तीर्थ क्षेत्र में इस बदलाव को बखूबी महसूस किया जा सकता है। निरभ्र आकाश से होड़ करते प्राचीन मंदिरों के शिखरों की मोहकता बढ़ी है। उनके बीच व्याप्त धुंध और प्रदूषण कम प्रतीत होने से आकाश ही नहीं मंदिरों के शिखर भी कहीं अधिक स्पष्टता, चमक और पहचान मुकम्मल करते हुए प्रस्तुत होते हैं। आसमान के क्षितिज पर कलरव करते पक्षियों की चहक भी स्पष्ट महसूस की जा सकती है। रामनगरी से उसके जुड़वा शहर फैजाबाद तक जुड़ने वाला जो मार्ग वाहनों की भरमार और उससे उत्सर्जित प्रदूषण से ग्रस्त होता था, उस पर भी प्रदूषण दूर की कौड़ी बनता जा रहा है। मार्ग पर यदि लाकडाउन का सन्नाटा है, तो वातावरण की स्वच्छता भी सहज महसूस होती है। धूल के गुबार से मुक्त वायु शरीर का आलिगन कर कहीं अधिक आह्लादित करती है, तो बगल में मिलने वाली वृक्षों की पांत भी उतनी ही आह्लादित नजर आती है। प्राय: गर्दो-गुबार से पटी रहने वाली वृक्षों की पत्तियां और तने अपने मौलिक रंग-रूप के साथ कहीं अधिक लुभावन प्रतीत होते हैं। सुबह के छह बजे हैं। सूर्य देव सुदूर आकाश से झांकते हुए धीरे-धीरे पूरी स्पष्टता से सामने आते हैं। सूर्यदेव बजरंगबली की प्रधानतम पीठ हनुमानगढ़ी के शिखर की ओर बढ़ते प्रतीत होते है और एक पल को लगता है कि कभी बजरंगबली सूर्य देव के पास पहुंचे थे और आज सूर्य देव बजरंगबली की इस पीठ का स्पर्श करने को उत्सुक हैं। प्रकृति की कुछ ऐसी सुरम्यता और जीवंतता सरयू तट पर भी परिभाषित होती है। सामान्य दिनों में श्रद्धालुओं से पटा रहने वाला स्नान घाट गत पखवारे भर से सन्नाटे में है। न केवल स्थानार्थी, बल्कि नावों और स्वचालित बोट के संचालन की हलचल से मुक्त पुण्यसलिला अविरल-निर्मल और शांत हो कर कुछ कहने का प्रयत्न करती है। लोग भले न हों या कम से कम हों, कितु सरयू तट की गहन नीरवता में जीवंतता भी गुंथी महसूस होती है। कुछ पक्षी सरयू की सतह पर अठखेलियां करते हैं और उनकी कूंक दूर तलक व्याप्त हो रही होती है, तो तट के पेड़ प्रदूषण से मुक्त मौलिक हरीतिमा के साथ सरयू में अपना अक्स देखने का यत्न कर रहे होते हैं। वातावरण के लिए हानिकारक तत्वों का उत्सर्जन थमा

- कई बार अंटार्कटिका के सफल अभियान का नेतृत्व करने वाले जाने-माने पर्यावरण वैज्ञानिक डॉ जसवंत सिंह कहते हैं, लाकडाउन के दौरान ट्रांसपोर्टेशन में काफी कमी आना निसंदेह पर्यावरण के अनुकूल है। इससे पर्यावरण को हानि पहुंचाने वाले सल्फर एवं नाइट्रोजन आक्साइड बहुत सीमित मात्रा में उत्सर्जित हो रहे हैं। उनकी माने तो लाकडाउन से अर्थव्यवस्था को या लोगों को कितनी दिक्कत का सामना करना पड़ सकता है, यह अलग विषय है, कितु लाकडाउन से पर्यावरण की स्वच्छता जरूर सुनिश्चित हो रही है। पर्यावरण के इस रंग को अक्षुण्ण रखा जाए

- पर्यावरण प्रेमी एवं मित्रमंच के मुखिया शरद पाठक बाबा कहते हैं, लाकडाउन के बाद लोगों का जीवन और अर्थव्यवस्था जरूर पटरी पर लाई जानी चाहिए, कितु इस दौरान स्वच्छ पर्यावरण का जो रंग देखने को मिला है, उसे और निखारने और अक्षुण्ण रखने का यत्न होना चाहिए।


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