After Ayodhya Verdict : रामलला के भव्यतम मंदिर की साध को इन मंदिरों से चुनौती
After Verdict of Ayodhya बात भव्यतम मंदिर की हो तो सबसे पहला नाम कंबेाडिया के अंकोरवाट मंदिर का आता है। इस मंदिर का निर्माण 12वीं शताब्दी में राजा सूर्यवर्मन द्वितीय ने कराया था।
अयोध्या [रघुवरशरण]। सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के साथ रामजन्मभूमि पर भव्यतम मंदिर निर्माण का स्वप्न सजने लगा है। ऐसे में यह जानना प्रासंगिक है कि भव्यतम की कोटि में आने वाले दुनिया के अन्य मंदिर कौन-कौन से हैं और उनका विस्तार कितने क्षेत्र में है।
बात भव्यतम मंदिर की हो तो सबसे पहला नाम कंबेाडिया के अंकोरवाट मंदिर का आता है। इस मंदिर का निर्माण 12वीं शताब्दी में राजा सूर्यवर्मन द्वितीय ने कराया था। भगवान विष्णु का यह मंदिर सात लाख 20 हजार वर्ग मीटर क्षेत्र में विस्तृत है।
तमिलनाडु के त्रिची नामक स्थान पर श्रीरंगनाथ मंदिर (श्रीरंगम) दूसरा सबसे बड़ा मंदिर है। यह भी भगवान विष्णु का मंदिर है और यह छह लाख 31 हजार वर्ग मीटर क्षेत्र में विस्तृत है।
तमिलनाडु के चिदंबरम स्थित चिदंबरम मंदिर या थिल्लई नटराज मंदिर भगवान शिव का मंदिर है। यह लगभग एक लाख 60 हजार वर्ग मीटर में विस्तृत है। स्वामी विवेकानंद ने कोलकाता के हुगली नदी के किनारे जिस बेल्लूर मठ का निर्माण कराया था, वह भी दुनिया के भव्यतम मंदिरों में शुमार है। यहां मां आद्याकाली की पूजा होती है। यह दुनिया का पांचवां विशाल ङ्क्षहदू मंदिर है और यह एक लाख 60 हजार वर्ग मीटर में फैला हुआ है। तमिलनाडु के थंजावुर स्थित वृहदेश्वर मंदिर की गणना भी दुनिया के विशाल मंदिरों में होती है। इस मंदिर का निर्माण करीब एक हजार साल पहले चोल राजा ने कराया था। यह मंदिर एक लाख दो हजार चार सौ वर्ग मीटर में फैला हुआ है। तमिलनाडु का ही अन्नामलाईयर मंदिर एक लाख एक हजार 171 वर्ग मीटर में विस्तृत है। यह भगवान भोलेनाथ का मंदिर है।
भव्यतम मंदिरों की श्रृंखला में दिल्ली का अक्षरधाम मंदिर भी है। स्वामीनारायण संप्रदाय का यह मंदिर दो लाख 40 हजार वर्ग मीटर में विस्तृत है। यह मंदिर अपनी विशालता-भव्यता के साथ शानदार स्थापत्य के रूप में दुनिया के पर्यटकों को आकृष्ट करता है।
तमिलनाडु के कांचीपुरम स्थित एकंबेश्वर मंदिर भी दुनिया के भव्यतम मंदिरों में गिना जाता है। भगवान शिव का यह मंदिर 92 हजार 860 वर्ग मीटर क्षेत्र में विस्तृत है।
तमिलनाडु के त्रिची नामक स्थान पर स्थित थिरुवनेयीकवल मंदिर भी अपनी भव्यता के लिए प्रख्यात है। 72 हजार आठ सौ मीटर क्षेत्र में फैले इस मंदिर का निर्माण द्वितीय शताब्दी ई. में राजा कोसंगनन ने कराया था। यह मंदिर दुनिया के प्राचीन मंदिरों में भी गिना जाता है।
रामलला के भव्यतम मंदिर की साध असंभव नहीं
यदि तैयारियों पर गौर करें तो सौ एकड़ क्षेत्र यानी चार लाख चार हजार 158 वर्ग मीटर में विस्तृत राममंदिर के सामने सपनों के अनुरूप दुनिया के भव्यतम मंदिरों में शुमार होना असंभव नहीं है। इससे इन्कार नहीं किया जा सकता कि भव्यतम की श्रेणी में आने वाले कुछ शीर्ष मंदिरों की अपेक्षा रामलला के मंदिर की भूमि कुछ कम है पर इसकी भरपाई शानदार स्थापत्य के निर्माण से पूरी की जा सकती है। जहां तक उस प्रस्तावित मंदिर का सवाल है और जिसके लिए तीन दशक से शिलाएं गढ़ी जा रही हैं, वह सवा एकड़ भूमि में विस्तृत होगा।