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After Ayodhya Verdict : सुप्रीम कोर्ट के फैसले की खुशी में राम विवाहोत्सव के उल्लास का ज्वार

After Ayodhya Verdict राम विवाहोत्सव तो एक दिसंबर को है पर उत्सव की तैयारियां अभी से मुखर होने लगी हैं। अयोध्या में इसके केंद्र में यहां का जानकीमहल है।

By Dharmendra PandeyEdited By: Published: Mon, 25 Nov 2019 08:18 PM (IST)Updated: Mon, 25 Nov 2019 08:21 PM (IST)
After Ayodhya Verdict : सुप्रीम कोर्ट के फैसले की खुशी में राम विवाहोत्सव के उल्लास का ज्वार
After Ayodhya Verdict : सुप्रीम कोर्ट के फैसले की खुशी में राम विवाहोत्सव के उल्लास का ज्वार

अयोध्या, जेएनएन। भगवान राम की नगरी अयोध्या को लेकर सुप्रीम कोर्ट के फैसले की खुशी में राम विवाहोत्सव के उल्लास का ज्वार भी समाहित होने लगा है। राम विवाहोत्सव तो एक दिसंबर को है पर उत्सव की तैयारियां अभी से मुखर होने लगी हैं।

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अयोध्या में इसके केंद्र में यहां का जानकीमहल है। जानकीमहल रामनगरी का वह चुनिंदा स्थल है, जो भगवान राम की बजाय मां जानकी के स्थल के रूप में प्रतिष्ठित है। इस मंदिर की अधिष्ठात्री जानकी हैं। भगवान राम यहां दुल्हा के रूप में कुछ उसी तरह से प्रतिष्ठित हैं, जैसे त्रेता में वह जनकपुर दुल्हा के रूप में गए होंगे।

जानकीमहल की स्थापना 1943 में देवरिया के रहने वाले कारोबारी मोहनलाल ने कारोबारी साम्राज्य से मुख मोड़कर मां जानकी के प्रति भक्ति की लीनता में की थी। जानकीमहल न केवल गहन उपासना का अहम केंद्र है, बल्कि सेवा के वृहद प्रकल्प के रूप में जाना जाता है। एलोपैथी, होम्योपैथी, नेत्र विभाग, फिजियोथिरेपी आदि विभागों के माध्यम से यहां जरूरतमंदों को मुफ्त चिकित्सा सुविधा सुलभ होती है। आधुनिक साज-सज्जा युक्त शताधिक कमरों वाली धर्मशाला और वृहद गोशाला जानकीमहल की गरिमा में चार-चांद लगाती है। हालांकि अपनी मौलिक प्रतिष्ठा के अनुरूप यह स्थल भक्तों के तीर्थ के रूप में प्रतिष्ठित है।

इसके मुख्य गर्भगृह में भगवान राम एवं सीता के अलावा अन्य अनेक गर्भगृह में हनुमानजी, गणेश, शिव पंचायतन आदि की स्थापना इसे भव्य देवालय का स्वरूप प्रदान करती है। राम जन्मोत्सव, जानकी जन्मोत्सव सहित सीता-राम विवाहोसव के अवसर पर यहां की उत्सवधर्मिता का जादू सिर चढ़कर बोलता है।

इसी क्रम में गुरुवार से सीता-राम विवाहोत्सव का आगाज रामार्चा पूजन से होगा। इसी दिन गणेश पूजन एवं राम विवाह पर केंद्रित लीला का मंचन संयोजित है। उत्सव की तैयारियों पर रोशनी डालते हुए जानकीमहल ट्रस्ट के प्रबंधन से जुड़े आदित्य सुल्तानिया, प्रबंधक नरेश पोद्दार एवं रामकुमार शर्मा ने बताया कि शुक्रवार को यहां की मशहूर फुलवारी लीला, शनिवार को हल्दी, तिलक एवं मेंहदी की रस्म, रविवार को बरात प्रस्थान एवं वैवाहिक अनुष्ठान तथा सोमवार यानी दो दिसंबर को छप्पन भोग एवं कुंवर कलेवा से उत्सव का समापन होगा।

गुलजार होगा दशरथमहल

रामनगरी के अन्य मंदिर भी अब सीता-राम विवाहोत्सव से गुलजार होने लगे हैं। आचार्य पीठ दशरथमहल बड़ास्थान में मंगलवार से ही सात दिवसीय रामकथा की अमृत वर्षा शुरू होगी। कथाव्यास स्वामी मधुसूदनाचार्य को सीता-राम विवाहोत्सव के मनोहारी प्रसंग का विशेषज्ञ वक्ता माना जाता है। दशरथमहल अपनी विरासत के अनुरूप विवाहोत्सव की रस्म से भी गुलजार होने को है। दशरथमहल पीठाधीश्वर बिंदुर्गाद्याचार्य महंत देवेंद्रप्रसादाचार्य के अनुसार एक दिसंबर को रामबरात निकलेगी। प्रति वर्ष की तरह यहां की बरात राजसी ठाट-बाट की बानगी के साथ निकलेगी।

रामवल्लभाकुंज में बह रही रामकथा की रसधार

मधुर उपासना परंपरा से जुड़ी शीर्ष पीठ रामवल्लभाकुंज में राम विवाहोत्सव को लेकर रामकथा की रसधार प्रवाहित हो रही है। शीर्ष रामकथा मर्मज्ञ संत प्रेमभूषण ने राम विवाह से पूर्व शिव-पार्वती विवाह की मार्मिकता प्रतिपादित की। कहा, शिव विश्वास और पार्वती श्रद्धा हैं और जीवन को परिपूर्णता भी विश्वास एवं श्रद्धा के समन्वय से मिलती है। रामकथा का प्रतिपाद्य श्रद्धा-विश्वास ही है। 


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