270 दिनों में भी हत्या की विवेचना नहीं हुई पूरी
फैजाबाद : विवेचनाओं के लंबित होने पर उच्च न्यायालय की नाराजगी वाजिब है। विवेचनाओं के निस्
फैजाबाद : विवेचनाओं के लंबित होने पर उच्च न्यायालय की नाराजगी वाजिब है। विवेचनाओं के निस्तारण में लापरवाही यहां भी जीवंत हैं। खंडासा थाना क्षेत्र के शेषनारायण हत्याकांड को 270 दिन से ज्यादा बीत गया है। 90 दिनों में विवेचना की दिशा तय होनी चाहिए, लेकिन इस हत्याकांड को लेकर दिशा महीनों बाद भी तय नहीं हुई है। वर्ष 2018 के आरंभ की भोर में सनसनी फैला देने वाले इस हत्याकांड की विवेचना को लेकर शिथिलता चरम पर है। नौ माह के भीतर दो एसएसपी व चार थाना प्रभारी बदल चुके हैं, लेकिन विवेचना जहां की तहां है। पुलिस तफ्तीश में लापरवाही से पीड़ित परिवार में न्याय की उम्मीद टूट चुकी है।
कुछ दिन पहले डकैती के एक मामले में सीतापुर पुलिस की लापरवाही को उच्च न्यायालय ने संज्ञान लेकर प्रदेश के सभी थानों की आडिट कराने का निर्देश दिया। ऐसे में जिले के शेषनारायण हत्याकांड का मुद्दा प्रासंगिक हो जाता है। जघन्य अपराध के मामलों में पुलिस किस हद तक बेपरवाह है, शेषनारायण हत्याकांड इसका सटीक उदाहरण है। खंडासा थाना क्षेत्र के डीली सरैया निवासी शेषनारायण चतुर्वेदी का शव दो जनवरी की सुबह गांव के बाहर मिला था। शेषनारायण के शव व बाइक को हत्यारों ने फूंक दिया था। अज्ञात लोगों के खिलाफ मुकदमा खंडासा थाना में दर्ज है। करीब तीन माह से पुलिस ने विवेचना से संबंधित जानकारी परिवार से साझा नहीं की।
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एसओ ने कहा था तेरहवीं के बाद घटना खोल देंगे..
-मृतक के पुत्र अंशुमान का कहना है कि घटना के वक्त शरद कुमार खंडासा थानाध्यक्ष थे। उन्होंने कहाकि था कि तेरहवीं कर लो उसके बाद घटना खोल देंगे। मुल्जिम तक पहुंच गए हैं। तेरहवीं क्या नौ माह से ज्यादा बीत गया, अबतक पुलिस कुछ नहीं कर सकी। शेषनारायण घर के अकेले कमाने वाले थे। उनकी हत्या के बाद परिवार भी मुश्किलों के दौर से गुजर रहा है।
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-हत्याकांड की विवेचना चल रही है। मौके से मिले साक्ष्यों को जांच के लिए भेजा गया है। रिपोर्ट आने के बाद ही कुछ कहा जा सकता है।
अवनीश चौहान, खंडासा थानाध्यक्ष