अयोध्या के DIET ऑफिस से गायब हुए 900 साल पुराने दुर्लभ सिक्के, मचा हड़कंप
अयोध्या स्थित जेटीसी स्कूल (अब डायट) में सन् 1952 में रखे गए पुरातात्विक महत्व के नौ सौ वर्ष पुराने दुर्लभ सिक्कों की बंदरबांट हो चुकी है।
अयोध्या, जेएनएन। हैदरगंज मोहल्ला स्थित जेटीसी स्कूल (अब डायट) में सन् 1952 में रखे गए पुरातात्विक महत्व के नौ सौ वर्ष पुराने दुर्लभ सिक्कों की बंदरबांट हो चुकी है। सैकड़ों की संख्या में रखे सिक्कों की खोजबीन करने पर पता चला कि शिक्षाविदों और कर्मचारियों की पूरी पीढ़ी ने पिछले 67 सालों में अयोध्या व फैजाबाद के उस इतिहास को दफनाने का काम किया, जिसकी जीवंतता बनाए रखने की महती जिम्मेदारी इन्हीं की थी। डायट की वर्तमान प्राचार्या संध्या सिन्हा को तो सार्वजनिक चर्चा में रहे इन सिक्कों की मौजूदगी की जानकारी ही नहीं है।
स्थानीय निवासी व विदेश मंत्रालय के अधिकारी अमरनाथ दुबे ने इस संबंध में जिलाधिकारी अनुज कुमार झा का ध्यान आकृष्ट कराया है। इस बीच सिक्कों के बारे में जानकारी होने पर प्राचार्या ने डायट कर्मचारियों को समुचित जानकारी मुहैया कराने का फरमान जारी किया है। आजादी से पहले फैजाबाद म्युनिसिपल म्यूजियम में दुर्लभ मूर्तियों, प्राचीन सिक्कों, ताम्रपत्र, शिलाखंडों व जानवरों की खाल समेत अयोध्या-फैजाबाद से जमा किए गए प्राचीन अवशेष रखे हुए थे। यह म्यूजियम सन 1952 में बंद कर दिया गया। इस प्रकार यहां की कई महत्वपूर्ण कलाकृतियां राज्य संग्रहालय लखनऊ व फैजाबाद के जूनियर ट्रेनिंग सेंटर (जेटीसी) में संरक्षित कर दी गईं।
प्रशासनिक अमले में 1983-84 के दौरान फिर सक्रियता दिखी, जब जेटीसी के तत्कालीन प्राचार्य श्रीकांत शर्मा, लिपिक राजबहादुर तिवारी व अली हैदर ने तत्कालीन कमिश्नर को यहां रखे गए दुर्लभ पुरावशेष हैंडओवर करने के लिए पत्र लिखा। इसी लिखा-पढ़ी के फलस्वरूप अनेक अवशेष एवं मूर्तियां अयोध्या शोध संस्थान में स्थानांतरित की गईं। इस दौरान मूर्तियां रखने की जगह बदलती रहीं और स्थानांतरण की आपा-धापी के बीच 80 के दशक में बहुचर्चित सरस्वती जी की प्रतिमा चोरी होने की खबर से पुरावशेषों के प्रति प्रशासनिक अमले की संवेदनहीनता भी उजागर हुई।
इन सबके बीच नाटकीय ढंग से दुर्लभ सिक्कों को फैजाबाद जेटीसी (डायट) से स्थानांतरित नहीं किया गया। इसमें राजा गांगेय देव (1014-1041 ई.) के शासनकाल की गजलक्ष्मी अंकित स्वर्ण मुद्राएं भी हैं, जिसके पृष्ठ भाग पर शारदा लिपि में श्रीमद् गांगेय देव लिखा है। यह सिक्के अयोध्या के इतिहास लेखन में दसवीं शताब्दी के कलचुरी साम्राज्य व त्रिपुरी का नया आयाम जोड़ते हैं।
गौरतलब है कि अयोध्या रामकथा संग्रहालय में प्रदर्शित पुरानी मूर्तियों में दसवीं शताब्दी की गणेश प्रतिमा इसी कालखण्ड की है। पुरातात्विक महत्व के इस डाक्यूमेंटेशन का डायट में कोई नामोनिशान नहीं है। कथित रूप से कई दुर्लभ सोने के सिक्कों में से एक सिक्का ही बचा रह गया है। हालांकि पांच श्रेणियों के कुल 280 दुर्लभ सिक्के व एक ताम्रपत्र डायट के कार्यालय में अपने भविष्य की बाट जोह रहे हैं।
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