85 प्रतिशत किसानों के खाते में भेजा गन्ना मूल्य
- केंद्र व प्रदेश सरकार से मिली मदद के बाद किसानों को गन्ने का दिया जा रहा भुगतान फोटो.. संसू मसौधा(अयोध्या) केंद्र व प्रदेश सरकार से मिले लोन से केएम शुगर मिल किसानों से खरीदे गए गन्ने का
मसौधा (अयोध्या) : केंद्र व प्रदेश सरकार से मिले ऋण से केएम शुगर मिल ने किसानों से खरीदे गए गन्ने का 85 प्रतिशत भुगतान कर देगी। यह जानकारी अधिशासी निदेशक एससी अग्रवाल, जिला गन्नाधिकारी एपी सिंह, महाप्रबंधक कार्मिक एवं प्रशासन विवेकानंद मिश्र, वरिष्ठ महाप्रबंधक गन्ना डॉ एके त्रिपाठी ने पत्रकारों को दी।
अग्रवाल ने बताया कि मिल पर गन्ना किसानों का 304 करोड़ 39 लाख रुपया बकाया था, जिसमें 179 करोड़ रुपया भुगतान कर दिया गया। शुगर की खपत कम होने से सही रेट न मिलने के कारण डंप है। सरकार के माध्यम से कोटे के आधार पर एक माह में 55 से 60 हजार कुंतल ही बिक पा रही है। मिल 10 लाख 91 हजार 180 कुंतल चीनी तैयार कर चुकी है। बिक्री 210473 कुंतल की हो सकी है। इसके कारण 8 लाख 80 हजार 707 कुंतल बोरी डंप पड़ी है। गन्ना आयुक्त की मदद से केंद्र व प्रदेश सरकार ने करीब डेढ़ माह से पड़ी सीसीएल की फाइल पर 40 करोड़ तथा अपनी तरफ से 33 करोड़ रुपये का लोन दिया है। दोनों मिलाकर 77 करोड़ रुपये मिल जाने के कारण अब तक का किसानों के बकाये का रुपया खाते में भेज दिया, जो देर रात्रि तक उनके खातों में पहुंच जाएगी। इससे अब तक बकाए का 85 प्रतिशत भुगतान पूरा हो गया है।
डीसीओ ने बताया कि चीनी मिल बिजली पैदाकर बेचने का कार्य किया जाता है, जिसका बकाया 14 करोड़ रुपया भी सरकार की मदद से मिल गया है। यह रुपया भी किसानों के गन्ने के बकाये में भुगतान दिया जा रहा है। बाकी बचे बकाये को मिल बंद होने के तीन हफ्ते बाद कर दिया जाएगा। इससे किसानों को पूर्व की तरह अपने भुगतान के लिए भटकना नहीं पड़ेगा। ------------------------
15 तक फ्री तो 25 तक बंद हो जाएगी मिल -महाप्रबंधक कार्मिक एवं प्रशासन विवेकानंद मिश्र ने बताया कि 15 अप्रैल तक फ्री कर दी जाएगी, जिससे बचे हुए गन्ने को किसान बगैर पर्ची के तौल करा सकें। गन्ना खरीदारी 20 से 25 अप्रैल तक करके मिल बंद कर दिया जाएगा। ------------------------- नहीं होगी रिजेक्ट गन्ने की तौल
-वरिष्ठ महाप्रबंधक गन्ना डॉ एके त्रिपाठी ने बताया कि 2019-20 में शुगर मिल किसी भी हाल में रिजेक्ट गन्ने को नहीं खरीदेगी। अगर किसान गन्ना बोते हैं तो उसके खुद जिम्मेदार होंगे। रिजेक्ट गन्ने के कारण शुगर की मात्रा सभी मीलों से काफी कम मिल रही है। इसके चलते अधिकारियों ने पत्र जारी कर खरीद पर रोक लगा दिया है।