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11 बीएड महाविद्यालयों ने अविवि के सामने खड़ी की नई मुसीबत

काउंसिलिग में नाम न भेजे जाने से आहत प्रबंधक पहुंचे हाईकोर्ट. महाविद्यालयों की पत्रावली पूरी पर काउंसलिग से आउट.

By JagranEdited By: Published: Sun, 29 Nov 2020 11:28 PM (IST)Updated: Sun, 29 Nov 2020 11:36 PM (IST)
11 बीएड महाविद्यालयों ने अविवि के सामने खड़ी की नई मुसीबत
11 बीएड महाविद्यालयों ने अविवि के सामने खड़ी की नई मुसीबत

अयोध्या : लखनऊ विश्वविद्यालय के संयोजन में चल रही बीएड की काउंसिलिग में कॉलेज का नाम न भेजे जाने से आहत कई बीएड महाविद्यालय प्रबंधन ने न्याय के लिए हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। इनमें अधिकांश कॉलेजों की पत्रावली समय से पूर्ण हो गई थी। बावजूद इसके विश्वविद्यालय प्रशासन ने इनका नाम काउंसलिग में नहीं भेजा, जबकि बाद में पूर्ण हुई पत्रावलियों वाले कॉलेज का नाम व सीटों का ब्योरा भेज दिया गया। इससे कॉलेज प्रबंधकों में रोष व्याप्त है। काउंसलिग में महाविद्यालय की सीट का ब्योरा भेजना होता है। कॉलेज संचालकों को शुल्क के रूप में मिलने वाले लाखों रुपये के घाटे का डर सताने लगा है। विश्वविद्यालय प्रशासन को इस नई मुसीबत की आहट मिलने लगी है। दूसरी ओर अविवि प्रशासन लखनऊ विश्वविद्यालय से पर्दे के पीछे संवाद में जुटा है, जिससे इन महाविद्यालयों का नाम काउंसलिग में शामिल किया जा सके। लविवि बीएड की प्रवेश समन्वयक ने साफ कहा है कि पूल काउंसलिग से पहले नए कॉलेजों के नाम व सीटों का ब्योरा शामिल नहीं किया जा सकता।

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प्रबंधकों का कहना है कि विवि प्रशासन ने जानबूझ कर नाम काउंसलिग में नहीं भेजा तो मजबूरन कोर्ट का सराहा लेना पड़ा। मीडिया प्रभारी डॉ. विजयेंदु चतुर्वेदी ने मामला संज्ञान में न होने की बात कही। हालांकि अभी तकरीबन 15 ऐसे महाविद्यालय हैं, जिनका ब्योरा काउंसिलिग में नहीं भेजा गया।

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इन कॉलेजों का ये है माजरा

अयोध्या: कुछ माह पहले संबद्ध तकरीबन 70 महाविद्यालयों की सीटों में बढ़ोतरी की प्रक्रिया पूरी हुई। इन सभी महाविद्यालयों में सीटों की संख्या 50 से बढ़ा कर सौ होनी थी। बाद में विवि प्रशासन ने इसे रोक दिया। आनन-फानन में महाविद्यालय प्रबंधकों ने शिक्षकों का अनुमोदन करा कर पत्रावली विवि में जमा की। ईडीपी सेल से शिक्षकों की वैधता की जांच हुई पर ब्योरा लखनऊ विश्वविद्यालय को नहीं भेजा जा सका। लविवि इस बार बीएड की प्रवेश की प्रक्रिया संपन्न करा रहा है। अंतिम बार आठ नवंबर को यह सूचना लविवि को भेजी गई लेकिन इसमें नाम नहीं है।

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पोर्टल नहीं खुलेगा तो कैसे देंगे वेतन

अयोध्या: बीएड महाविद्यालयों की चिता है कि काउंसलिग में शामिल होने के लिए यदि लविवि ने पोर्टल नहीं खोला तो काउंसलिग में प्रतिभाग नहीं कर सकेंगे। साथ ही अनुमोदित 16-16 शिक्षकों का वेतन कैसे भुगतान करेंगे।

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गत वर्षों में भेजा गया सीटों का ब्योरा

अयोध्या: दरअसल गत वर्षों में बीएड काउंसिलिग के बीच में महाविद्यालयों की बढ़ी सीटों का ब्योरा भेजा जाता रहा और बीच में ही सीटें काउंसलिग की मेजबानी करने वाले विश्वविद्यालय की वेबसाइट पर अपडेट कर दी जाती थीं। एक अधिकारी ने बताया कि कुछ कॉलेजों के शिक्षक अनुमोदन की प्रक्रिया चल रही थी, एक साथ अवशेष महाविद्यालयों का ब्योरा भेजने की मंशा के कारण इसे नहीं भेजा गया। इस बीच पोर्टल बंद हो गया। लविवि से पोर्टल खोलने के संबंध में वार्ता की गयी है।


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