पालिका की उदासीनता से नहीं थम रहा पॉलीथिन का प्रयोग
जागरण संवाददाता, इटावा : मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा स्वच्छता को लेकर दिए गए फरमान के बाद
जागरण संवाददाता, इटावा : मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा स्वच्छता को लेकर दिए गए फरमान के बाद पॉलीथिन का प्रयोग एक बार फिर चर्चा में है और नगर पालिका परिषद उदासीन। मुख्यमंत्री की यह ¨चता पर्यावरण विभाग, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड व नगर पालिका अधिकारियों के लिए चुनौती बन गई है। ये विभाग पॉलीथिन के व्यापार पर लगाम लगाने में विफल साबित हुए हैं। हकीकत यह है कि हर छोटे-बड़े दुकानदार द्वारा पॉलीथिन का उपयोग किया जा रहा है। पॉलीथिन का प्रयोग न करने की शपथ दिलाने वाले स्कूल-कालेज व आम लोग इसके इस्तेमाल से गुरेज नहीं कर रहे हैं। जगह-जगह कूड़े के ढेर में पड़ी पॉलीथिन प्रतिबंध की हकीकत बयां करने के साथ नगर की स्वच्छता पर दाग लगा रही है।
शुरुआत में प्रशासन दिखा सजग
यह पहली बार नहीं है कि प्रदेश के मुख्यमंत्री ने पॉलीथिन के प्रयोग पर एतराज जताया हो। इससे पहले पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने भी पॉलीथिन पर रोक लगाई थी। शुरुआत में प्रशासनिक अधिकारियों ने जगह-जगह छापामारी कर पॉलीथिन को जब्त किया था। कई दुकानदारों पर जुर्माना भी लगाया था, लेकिन समय बीतने के साथ कार्रवाई का असर ठंडा पड़ता चला गया। पाबंदी के लिए भी है कानून
एनवायरनमेंट प्रोटेक्शन एक्ट 2003 के अनुसार प्रदेश में 20 माइक्रोन से कम और 20 गुणा 30 वर्ग सेमी साइज से कम की पॉलीथिन प्रतिबंधित है। रंगीन पॉलीथहन को रीसाइकिल करने में पर्यावरण को खतरा होता है। सरकार ने हर तरह की पॉलीथिन के साथ थर्माकोल के सामान कटोरी गिलास व प्लेट पर भी प्रतिबंध लगाया है। इसके साथ ही शादी या दूसरे निमंत्रण कार्ड की पे¨कग में प्रयोग होने वाली पॉलीथिन पर भी प्रतिबंध लगाया गया है। थोक या खुदरा विक्रेता, फेरी या रेहड़ी वालों द्वारा भी बिक्री और भंडारण पर रोक लगाई गई है। इसको लेकर पर्यावरण संरक्षण अधिनियम 1986 एक्ट के तहत पांच लाख रुपये का जुर्माना और छह माह की सजा का प्रावधान भी किया गया था। इस बार सरकार ने तीन चरणों में पूर्ण प्रतिबंध लगाने के निर्देश दिए थे। तीसरा चरण समाप्त हो जाने के बाद भी इस पर प्रतिबंध नहीं लग सका है। इनमें होता है पॉलीथिन का प्रयोग
सरकारी प्रयास को असफल करने में दैनिक जीवन की विभिन्न वस्तुओं की महत्वपूर्ण भूमिका है। अनेक ऐसी वस्तुएं हैं, जो बाजार में सिर्फ पालीथिन और प्लास्टिक पैक में ही मिलती हैं। इनमें ब्रेड, दूध, दही, पनीर, लस्सी, मिनरल वॉटर की बोतल, लगभग सभी ब्रांड के शीतल पेय पदार्थ, चिप्स, नमकीन, बिस्कुट, बीड़ी के बंडल, गुटखा, शैंपू, तंबाकू, साबुन, चाय की पत्ती के पैकेट, वा¨शग पाउडर, टूथपेस्ट, क्रीम, दवा की पै¨कग, आटा, बेसन ओर यूरिया बैग आदि हैं। इसके अलावा ठेले और दुकानों पर भी खाद्य सामग्री रखने के लिए पॉलीथिन का ही प्रयोग होता है। जिम्मेदार बोले
पॉलीथिन के प्रयोग पर रोक लगाने के लिए जिला प्रशासन के साथ ही नगर पालिका परिषद ने अभियान चलाकर छापामारी भी की तथा जुर्माना भी लगाया। आगे भी अभियान जारी रहेगा। अभियान के लिए जिम्मेदार विभागों का सहयोग नहीं मिलने से परेशानी हो रही है। -अनिल कुमार, ईओ नगर पालिका परिषद