सैफई मेडिकल यूनिवर्सिटी में रैगिंग के आरोपित छात्रों को मिल सकती है राहत, कुलपति ने दिए संकेत
उत्तर प्रदेश आयुर्विज्ञान विश्वविद्यालय सैफई के कुलपति ने रैगिंग मामले में कहा है कि सुप्रीम कोर्ट की गाइड लाइन के अनुसार देखेंगे कि मामले में एफआइआर जरूरी है या नहीं।
इटावा, जेएनएन। उत्तर प्रदेश आयुर्विज्ञान विश्वविद्यालय सैफई में रैगिंग में दोषी पाए गए 2018 बैच के सात छात्रों के खिलाफ एफआइआर के फैसले पर पुनर्विचार हो सकता है। इस बात के संकेत रविवार को कुलपति प्रो. राजकुमार ने दिए।
कुलपति ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट की गाइड लाइन के अनुसार देखेंगे कि मामले में एफआइआर जरूरी है या नहीं। छात्रों के करियर का सवाल है। ऐसे में कानूनी सलाह लेकर कार्रवाई की जाएगी। कुलपति ने यह भी कहा कि फैक्ट फाइंडिंग कमेटी जांच करना चाहे तो कर सकती है। उसकी जांच रिपोर्ट भी शासन को जाएगी। यह भी दोहराया कि दो दिन पूर्व मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मुलाकात के दौरान उन्हें विश्वविद्यालय की सुरक्षा से अवगत कराया गया है।
फैक्ट फाइंडिंग कमेटी करेगी जांच
रैगिंग प्रकरण में मुख्यमंत्री के निर्देश पर गठित फैक्ट फाइंडिंग कमेटी सोमवार को विश्वविद्यालय पहुंचकर जांच करेगी। कमेटी के अध्यक्ष सीडीओ ने बताया कि दो दिन अवकाश होने के कारण जांच नहीं की जा सकी। सोमवार को जांच की जाएगी।
इन बिंदुओं पर मांगी गई रिपोर्ट
- सैफई मेडिकल यूनिवर्सिटी में 20 अगस्त को जूनियर छात्रों के साथ किया गया कृत्य रैगिंग की श्रेणी में आता है या नहीं।
- एंटी रैगिंग कमेटी, मॉनिटरिंग सेल व एंटी रैगिंग स्क्वॉड की क्या भूमिका रही।
- लंबे समय से रैगिंग की रोकथाम न होने के लिए कौन जिम्मेदार है।
- भविष्य में ऐसी घटना न हो, इसके लिए क्या कदम उठाए जाने चाहिए।