इटावा सपा का गढ़ नहीं, शिवपाल का भविष्य असुरक्षितः ओम प्रकाश राजभर
भाजपा के खिलाफ बयानबाजी से चर्चा में रहने वाले मंत्री ओमप्रकाश राजभर ने सभी दलों पर निशाना साधा और एलान किया कि इटावा सपा का गढ़ नहीं है।
इटावा (जेएनएन)। भाजपा के खिलाफ बयानबाजी कर चर्चा में रहने वाले उत्तर प्रदेश के मंत्री ओमप्रकाश राजभर ने एक बार फिर सभी दलों पर निशाना साधा और एलान किया कि इटावा सपा का गढ़ नहीं है। उन्होंने प्रगतिशील समाजवादी पार्टी प्रमुख शिवपाल सिंह यादव पर टिप्पणी करते हुए कहा कि भाजपा राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मिलने के बाद उनका भविष्य असुरक्षित हो गया है। इटावा में एक कार्यक्रम में आए राजभर ने सिंचाई विभाग के गेस्ट हाउस में पत्रकारों से वार्ता में कहा कि उनके परिवार में पहले एक नेता हुआ करता था, अब दो-दो हो गए हैं।
इटावा सपा का गढ़ नहीं, भाजपा के डर से गठबंधन
इटावा सपा का गढ़ होने की बात पर राजभर बोले, गढ़ किसी पार्टी का नहीं होता है, मुलायम सिंह यादव व अखिलेश यादव पूरे प्रदेश के नेता हैं। अखिलेश अपनी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं और वे प्रदेश के हैं। सपा-बसपा गठबंधन पर उन्होंने कहा कि पहले भाजपा सपा-बसपा से डरती थी। अब सपा-बसपा भाजपा के डर से गठबंधन करना चाह रहे हैं।
चुनाव में पार्टियों को याद आते मंदिर मस्जिद
मंदिर-मस्जिद मुद्दे को लेकर बोले, चुनाव आते ही सभी पार्टियों को मंदिर-मस्जिद के मुद्दा याद आने लगता है। चुनाव होते ही मुद्दा गायब हो जाता है। हमारी आस्था संविधान में है। मामला कोर्ट में है, फैसले का इंतजार करना चाहिए।
हमने भाजपा को सीटें दिलाईं पर नहीं दिया आरक्षण
उन्होंने भाजपा नेताओं के नाम लिए बगैर कहा कि कई लोगों के भाषण सुने हैं जिससे ऐसा लगता है कि वे अपना क्षेत्र झोले में रखते हैं। कोई भी नेता अनुसूचित जाति के लोगों से यह नहीं कहता कि सड़क के लिए, अपने रोजगार या फिर शिक्षा के लिए संघर्ष करो। अनुसूचित जाति के लोग आज भी काफी पिछड़े हुए हैं। उन्होंने कहा कि भाजपा को पूर्वांचल में कई सीटें दिलाईं, यह बात भाजपा के बड़े नेता भी कहते हैं परंतु हमारे मुताबिक आरक्षण नहीं दिया जा रहा है।
कुछ नहीं होता शहरों का नाम बदलने से
उन्होंने भाजपा सरकार द्वारा शहरों के नाम बदलने पर कटाक्ष करते हुए कहा कि नाम बदलने से कुछ नहीं होता है केवल सरकार का काम हो जाता है। बोले, इस सरकार में विपक्ष में तो कोई है ही नहीं, अगर कोई है तो भाजपा का विपक्षी केवल ओम प्रकाश राजभर है। हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि लोकसभा चुनाव में वे भाजपा के साथ समझौते में हैं और लोकसभा चुनाव साथ में ही लड़ेंगे।