Move to Jagran APP

मौसम की मार, अस्पताल भी बीमार

कहने को तो ताखा तहसील है परंतु यहां पर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में एक डाक्टर की भी तैनाती अब तक नहीं हो सकी है। फार्मासिस्ट के सहारे यहां पर इलाज मरीजों का अभी तक किया जा रहा है। कई बार स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों को ग्रामीणों ने डाक्टर तैनात करने की मांग की परंतु नतीज सिफर ही रहा

By JagranEdited By: Published: Fri, 12 Jul 2019 10:11 PM (IST)Updated: Sat, 13 Jul 2019 06:26 AM (IST)
मौसम की मार, अस्पताल भी बीमार
मौसम की मार, अस्पताल भी बीमार

केस : एक

prime article banner

तहसील : ताखा

यहां पर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में एक डाक्टर की भी तैनाती अब तक नहीं हो सकी है। फार्मासिस्ट के सहारे यहां पर इलाज मरीजों का अभी तक किया जा रहा है। कई बार स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों को ग्रामीणों ने डाक्टर तैनात करने की मांग की परंतु नतीजा सिफर ही रहा। केस : दो

तहसील : चकरनगर

तहसील के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र गढ़ा कास्दा में डाक्टर की तैनाती एक लंबे अर्से से नहीं है। यहां भी मरीजों का इलाज फार्मासिस्ट के सहारे किया जा रहा है। बीहड़ क्षेत्र के इस इलाके में मरीजों को लंबी दूरी तय करके या तो राजपुर स्वास्थ्य केंद्र पर आना पड़ता है या फिर जिला मुख्यालय इलाज के लिए आना पड़ता है। जागरण संवाददाता, इटावा : इस समय जिले का आम नागरिेक मौसमी बीमारियों को लेकर हलकान है। शासन के निर्देश के बाद भी जिले के स्वास्थ्य केंद्रों की दशा दयनीय बनी हुई है। कहा जाए तो अस्पताल खुद ही बीमार हो गए हैं। जिले के सबसे बड़े अस्पताल डा. बीआर आंबेडकर में जहां वर्षो से चिकित्सकों की कमी बनी हुई है, वहीं मेट्रोजिन व बच्चों के सीरप जैसे आवश्यक दवाओं का भी अभाव देखा जा रहा है। अस्पताल में आने वाले हृदय रोगी व त्वचा रोगियों का कोई पुरसा हाल नहीं है। जिला अस्पताल के वरिष्ठ चिकित्सक डा. पीयूष तिवारी का कहना है कि इस मौसम में डायरिया के साथ ही पेट दर्द व वायरल फीवर के मरीज अधिक आ रहे हैं। कई तरह की दवाएं प्रयोग करने के बाद भी जब आराम नहीं मिलता है तो उनको भर्ती करके उपचार दिया जा रहा है। अस्पताल में दवाएं भी सीमित संख्या में हैं। त्वचा रोग विशेषज्ञ डा. महेश चंद्रा का कहना है कि इस मौसम में त्वचा रोग बहुतायत में पाये जाते हैं। फंगस इन्फेक्शन, बदन में लाल रंग के चकत्ते पड़ जाना, खुजली की समस्या आम पाई जा रही है। वह जिला अस्पताल में दो दिन ओपीडी करते हैं। पहले जहां 120 से 150 मरीज दवा लेने आते थे, अब बढ़ कर उनकी संख्या 200 से 225 तक पहुंच गई है। इसी क्रम में दिल की बीमारी भी कम परेशान नहीं कर रही है। जिला अस्पताल में दिल के मरीज का कोई चिकित्सक न होने के कारण डा. अजय शर्मा व डा. बीके साहू मरीजों को प्राथमिक उपचार देकर काम चला रहे हैं। इसके साथ ही जनपद की अन्य सीएचसी व पीएचसी का हाल बेहाल है। चकरनगर क्षेत्र की सीएचसी हो या उदी का अस्पताल चिकित्सकों की कमी के कारण ही इस क्षेत्र में लोगों को झोलाछाप पर आश्रित रहना पड़ रहा है। जिला अस्पताल में मरीजों की संख्या :

9 जुलाई ----- 1365

10 जुलाई ---- 1285

11 जुलाई ---- 1420

12 जुलाई --- 1510 जिला अस्पताल सहित जनपद में लंबे समय से चिकित्सकों की कमी बनी हुई है। कई बार शासन को भी लिखा जा चुका है। सीमित संसाधनों से ही चिकित्सा सेवाएं प्रदान की जा रही हैं। कई यूनिटें बन कर तैयार हैं, संसाधन मिले तो चालू हो सकें। डा. एके अग्रवाल, मुख्य चिकित्साधिकारी


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.