नई तकनीक से धान उगाने से पैसे की बचत
अमित यादव भरथना धान की सीधी बुआई की नई तकनीक अपनाने से पानी समय और धन की बचत होत
अमित यादव, भरथना : धान की सीधी बुआई की नई तकनीक अपनाने से पानी, समय और धन की बचत होती है। किसान नई पद्धति से धान की खेती करने के लिए एक-दूसरे को प्रेरित कर रहे हैं। ग्राम पाली खुर्द के किसान मुकेश कुमार बताते हैं कि उन्होंने लगभग एक या डेढ़ साल पहले कृषि विभाग द्वारा आयोजित गोष्ठियों में भाग लिया था। गोष्ठियों में कृषि विशेषज्ञों ने धान की सीधी बुआई के बारे में बताया था। उन्होंने पिछले वर्ष एक एकड़ में तीन हजार रुपये की लागत में लगभग 20-21 हजार रुपये कीमत की धान की पैदावार ली थी। पाली खुर्द के ही किसान सुभाष चंद्र ने बताया कि धान की सीधी बुआई के लिए पहले से खेत को तैयार करना पड़ता है और एक ही बार में खेत को जुतवाकर उसमें हल्का पानी भरकर सीधे धान की बुआई कर देते हैं, जिससे रोपाई में खर्च होने वाले हजारों रुपये बच जाते हैं। साथ ही पौध की रखवाली दो बार खेत की जुताई से समय और पैसा दोनों बचता है। भरथना देहात के पुराना भरथना निवासी किसान राकेश कठेरिया का कहना था कि सीधे धान की बुआई की तकनीक के तहत वह 15 बीघा खेत में धान की फसल को उगा रहे हैं। वह नई पद्धति से फसल पहली बार कर रहे हैं। इससे पौध के बोने से लेकर रोपाई तक तथा रोटावेटर की जुताई का पैसा बचा है। अब केवल फसल की रखवाली ही करनी है। समय पर पानी खाद की आवश्यकता पड़ती है, वो डालते हैं। कृषि विभाग के एडीओ सुरेंद्र कुमार दुबे तथा चंद्रशेखर यादव व नंद कुमार ने बताया कि समय-समय पर कृषि विभाग द्वारा गोष्ठियों में कृषि वैज्ञानिकों द्वारा नई-नई तकनीक से फसल की पैदावार करने के गुर बताए जाते हैं। इस क्रम में धान की सीधी बुआई मौसम पर निर्भर रहती है। इससे रोपाई को पैसा तथा पौध की रखवाली की मेहनत बच जाती है।