Move to Jagran APP

पाइप लाइन ¨सचित खेती से होगा जल संरक्षण

जागरण संवाददाता, इटावा : जल संरक्षण में किसान महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते है। इसके लिए खेती

By JagranEdited By: Published: Mon, 07 Jan 2019 10:03 PM (IST)Updated: Mon, 07 Jan 2019 10:03 PM (IST)
पाइप लाइन ¨सचित खेती से होगा जल संरक्षण
पाइप लाइन ¨सचित खेती से होगा जल संरक्षण

जागरण संवाददाता, इटावा : जल संरक्षण में किसान महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते है। इसके लिए खेती की ¨सचाई पाइप लाइन से करनी होगी। इससे जल संरक्षण के साथ डीजल और बिजली की खपत काफी कम होगी। सरकार पाइप लाइन ¨सचित खेती तथा पकी फसल की सुरक्षा के लिए आम किसानों को अनुदान पर संसाधन उपलब्ध करा रही है। इन संसाधनों के उपयोग से किसानों को काफी लाभ मिलेगा। जो किसान इनका उपयोग कर रहे हैं वे जल-ऊर्जा संरक्षण में अग्रणी भूमिका निभा रहे हैं। अधिकांश किसान फसलों की ¨सचाई अपने निजी संसाधनों से कर रहे हैं, अधिकतर किसान खेती को ¨सचित करने के लिए कच्ची नाली के माध्यम से पानी पहुंचाते हैं। इससे पानी की बर्बादी होती है, नाली कटने पर और ज्यादा बर्बादी होती है। इसके लिए सरकार ने सभी किसानों को अनुदान पर पाइप लाइन उपलब्ध कराने की योजना शुरू कर दी है। इसके तहत लेपटा पाइप 4, 5 तथा 6 इंच के साइज में उपलब्ध हैं। इनकी कीमत 26 सौ से 34 सौ के आसपास है जबकि अनुदान 1150 से 1200 है। इसी तरह 20 फीट लंबाई के तीन तथा चार इंच के पाइप हैं, हर पाइप पर 300 रुपये अनुदान है। एक किसान 50 पाइप खरीद सकता है, इससे उसे 15 हजार रुपये अनुदान प्राप्त होगा। कुल मिलाकर सरकार करीब 30 से 45 फीसद अनुदान प्रदान कर रही है। पकी फसल की भी सुरक्षा सरकार ने किसानों की पकी फसल की सुरक्षा के लिए तिरपाल पर भी अनुदान प्रदान करना शुरू कर दिया है। 35 वाई 35 मीटर तथा 7 वाई 7 मीटर के तिरपाल उपलब्ध कराए जा रहे हैं। इससे खलिहान में रखी पकी हुई फसल की सुरक्षा की जा सकती है। इसके अलावा किसान इनका अन्य कार्यों में भी प्रयोग कर सकता है। प्रमाण पत्र साथ लाए जिन किसानों ने कृषि विभाग में पंजीकरण करा रखा है वे पंजीकरण संख्या के साथ आधार कार्ड, बैंक पासबुक की फोटो कॉपी तथा पासपोर्ट साइज फोटो लेकर मुख्यालय स्थित कृषि भवन आकर संसाधन प्राप्त कर सकते हैं। जिन किसानों का पंजीकरण नहीं हुआ है उनका तत्काल पंजीकरण कराकर संसाधन प्रदान कराए जाएंगे। जल-ऊर्जा की बचत पाइप लाइन ¨सचित खेती से जल और ऊर्जा दोनों की बचत होती है। प्रगतिशील किसान इन संसाधनों को अपना रहे हैं। लघु सीमांत सहित हर वर्ग के किसानों को लाभ मिले इसके लिए अनुदान देकर संसाधन उपलब्ध कराए जा रहे है। सभी उपकरण आइएसआइ मार्का के हैं।

loksabha election banner

- डॉ. एके ¨सह

उप कृषि निदेशक


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.