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मौसम की मार से तरबूज-खरबूजा की मिठास हुई कम

हजागरण संवाददाता इटावा तेज लपट और भीषण गर्मी का अहसास कराने वाले मई माह में थोड़े-थोड़े अंतराल पर मौसम में परिवर्तन होने से इस साल तरबूज और खरबूजा की मिठास काफी कम हो गई है। दूसरी ओर पैदावार प्रभावित होने से इस साल भाव भी ज्यादा है। इन मौसमी फलों की आम घरों तक पहुंच है इनका सेवन करने वालों को इस साल वो स्वाद प्राप्त नहीं हो रहा है जो भीषण गर्मी और लू के मौसम में मिलता था।

By JagranEdited By: Published: Wed, 27 May 2020 06:09 PM (IST)Updated: Wed, 27 May 2020 07:22 PM (IST)
मौसम की मार से तरबूज-खरबूजा की मिठास हुई कम
मौसम की मार से तरबूज-खरबूजा की मिठास हुई कम

जागरण संवाददाता, इटावा : तेज लपट और भीषण गर्मी का अहसास कराने वाले मई माह में थोड़े-थोड़े अंतराल पर मौसम में परिवर्तन होने से इस साल तरबूज और खरबूजा की मिठास काफी कम हो गई है। दूसरी ओर पैदावार प्रभावित होने से इस साल भाव भी ज्यादा है। इन मौसमी फलों की आम घरों तक पहुंच है, इनका सेवन करने वालों को इस साल वो स्वाद प्राप्त नहीं हो रहा है जो भीषण गर्मी और लू के मौसम में मिलता था। तरबूज और खरबूजा ऐसे मौसमी फल हैं जो आम से लेकर खास तक की थाली में परोसे जाते हैं। जनपद में यह फल मैदानी क्षेत्र के साथ काफी मात्रा में यमुना नदी किनारे उत्पादित किए जाते हैं। गर्मी के मौसम में इन दोनों फलों का सेवन शरीर को तरावट का अहसास कराता है। स्वाद मीठा होने से सबका पसंदीदा है। इस साल अप्रैल माह में यमुना नदी में हाथिनी कुंड से पानी छोड़े जाने से तेज बहाव से किनारे तैयार हो रही इन फलों की बेल पानी में डूब गई जिससे उत्पादन काफी प्रभावित हो गया। बाजार में खासतौर पर खरबूजा का भाव भी पिछले साल की तुलना में ज्यादा है जबकि मिठास काफी कम है। भीषण गर्मी-लपट बढ़ाती है मिठास

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तरबूज और खरबूजा उत्पादक कई किसानों ने बताया कि मई-जून में भीषण गर्मी और तेज लपट यानी गर्म हवा लू चलने पर इन दोनों फलों में प्राकृतिक रूप से मिठास बढ़ती है। इस साल अप्रैल-मई माह में थोड़े अंतराल पर आंधी-पानी आने से तापमान में गिरावट है, वातावरण में नमी होने से दोनों फलों में उतनी मिठास नहीं आ रही है जितनी आनी चाहिए। हालांकि पिछले चार दिनों से गर्मी में तेजी आई है। उत्पादन में गिरावट बीते साल मंडी में तरबूज रोजाना 600 से 700 क्विटल आता था जो थोक में 400 से 500 रुपये प्रति क्विटल बिकता था, इस साल 400 से 500 क्विटल आ रहा है जो 600 से 800 रुपये प्रति क्विटल बिक रहा है। खरबूजा बीते साल 100 से 125 क्विटल रोजाना आता था जो 800 से 1000 रुपये प्रति क्विंटल बिकता था। इस साल रोजाना 60 से 70 क्विटल आ रहा है जो 1500 से 2000 रुपये प्रति क्विटल बिक रहा है। मौसम में बार-बार परिवर्तन होने तथा बारिश होने से तरबूज-खरबूजा में फीकापन है और उत्पादन भी कम हुआ है। मौसमी फल होने से इनकी मांग ज्यादा रहती है, इससे भाव ज्यादा हैं।

- प्रदीप कुमार त्रिपाठी सहायक सचिव मंडी


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