अंतरराष्ट्रीय ग्रंथ घोषित किया जाए रामचरित मानस
जासं इटावा प्रदर्शनी पंडाल में दो दिवसीय श्री रामचरित मानस सम्मेलन के उद्घाटन दिवस पर चित्रक
जासं, इटावा : प्रदर्शनी पंडाल में दो दिवसीय श्री रामचरित मानस सम्मेलन के उद्घाटन दिवस पर चित्रकूट धाम के मानस कोकिल आचार्य कृष्ण प्रताप तिवारी ने कहा कि विश्व शांति की व्यवस्था के लिए श्रीराम चरित मानस को राष्ट्रीय ही नहीं, अंतरराष्ट्रीय ग्रंथ घोषित किया जाना चाहिए। उन्होंने मानस की महिमा और उपयोगिता पर प्रकाश डालते हुए कहा कि कलियुग अशांति का युग है। जैसा कि गोस्वामी जी ने लिखा-तामस बहुत रजोगुण थोरा, कलि प्रभाव विरोध चहुं ओरा। अशांति के इस युग में विश्व शांति की व्यवस्था लाने का एक मात्र उपाय यही है कि रामचरित मानस को अंतरराष्ट्रीय ग्रंथ घोषित किया जाए।
इससे पहले धरनीधर त्रिवेदी द्वारा संस्थापित 31वें रामचरित मानस सम्मेलन का दीप प्रज्जवलन एवं श्री राम दरबार के चित्र पर माल्यार्पण कर विधिवत शुभारंभ हुआ। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि सांसद डॉ. रामशंकर कठेरिया ने कहा कि श्री रामचरित मानस सम्मेलन के अनवरत 31 वर्ष की परंपरा का निर्वाह बड़ी ही श्रद्धा, निष्ठा एवं लगन का द्योतक है। श्रीराम की महिमा से कोई भी भारतीय अछूता नहीं है। गोस्वामी तुलसीदास ने श्री रामचरित मानस की रचना करके समाज को ही एक आदर्श जीवन जीने की आचार संहिता से जोड़ दिया है।
विशिष्ट अतिथि संत लाल बाबा, केजीएमसी लखनऊ में फेफड़े रोग के विभागाध्यक्ष डॉ. सूर्यकांत एवं जिलाधिकारी श्रुति सिंह ने भी विचार व्यक्त किए। अध्यक्षता गिरिराज नारायण अग्रवाल ने की। भजन साधिका सुनीता दीक्षित श्यामा द्वारा रचित दो पुस्तकों नैना मिल गए श्याम से एवं भगवदीय प्रेरक चरित का विमोचन भी किया गया। सम्मेलन के संरक्षक डॉ. विश्वपति त्रिवेदी एवं संयोजक संजीव कुमार अग्रवाल एफसीए ने सभी अतिथियों का स्वागत एवं संचालन डॉ. कुश चतुर्वेदी ने किया।