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दहेज हत्या में पति-ससुर को कारावास की सजा

जागरण संवाददाता इटावा जनपद न्यायाधीश दिलीप सिंह यादव ने दहेज हत्या के आरोपी पति और ससुर को दोषी माना। इसके तहत पति को 14 साल कैद तथा 1 लाख रुपये अर्थदंड जबकि ससुर को

By JagranEdited By: Published: Tue, 20 Aug 2019 11:19 PM (IST)Updated: Wed, 21 Aug 2019 06:24 AM (IST)
दहेज हत्या में पति-ससुर को कारावास की सजा
दहेज हत्या में पति-ससुर को कारावास की सजा

जागरण संवाददाता, इटावा : जनपद न्यायाधीश दिलीप सिंह यादव ने दहेज हत्या के आरोपित पति और ससुर को दोषी माना। इसके तहत पति को 14 साल कैद तथा 1 लाख रुपये अर्थदंड जबकि ससुर को 8 साल कैद तथा 50 हजार रुपये अर्थदंड की सजा सुनाई। अर्थदंड का 65 फीसद हिस्सा मृतिका के बच्चों को प्रदान करने का आदेश किया। महज 17 माह में निर्णय होने से पीड़ित पक्ष ने बड़ी राहत महसूस की।

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जिला शासकीय अधिवक्ता शिवकुमार शुक्ल ने बताया कि शहर में 6 अप्रैल 2018 को अर्जुननगर सुंदरपुर रोड थाना फ्रेंड्स कालोनी स्थित एक आवास में संदिग्ध हालात में करीब 25 वर्षीय मोना उर्फ मोनिका का शव फांसी के फंदे पर लटका पाया गया था। मोना की मां कमलेश देवी पत्नी स्व. दिनेश चंद्र करहल मैनपुरी ने मोना के पति मनोज उर्फ तनु, ससुर अभिलाख शुक्ला तथा शिक्षिका सास व देवर के खिलाफ दहेज हत्या का अभियोग दर्ज कराया था। कहा गया था कि 18 मई 2013 को शादी की थी जिसमें मांग के अनुरूप दहेज देने के बावजूद कुछ दिनों बाद ऑल्टो कार तथा 5 लाख रुपये की मांग नामजदों द्वारा की गई। मांग पूरी करने में असमर्थता प्रकट करने पर मुझे भी अपमानित किया था तथा पुत्री का उत्पीड़न करने लगे थे। रिश्तेदारों के कहने पर उत्पीड़न कुछ दिन बंद रहा, शादी के एक साल बाद उसने पुत्र को जन्म दिया था, घटना से दस माह पूर्व पुत्री को जन्म दिया, इसके बाद उत्पीड़न फिर से शुरू हो गया, घटना वाले दिन पुत्री का फोन आने पर पुत्र अमित उर्फ अन्नू को भेजा तो उसने इन चारों को समझाकर घर आ गया और दोपहर में मोना का शव फांसी पर लटके होने की सूचना मिली। तत्कालीन सीओ सिटी डॉ. अंजनी चतुर्वेदी ने विवेचना में पति और ससुर को दोषी माना दोनों के खिलाफ आरोपपत्र न्यायालय में प्रस्तुत कर दिया। साक्ष्यों के आधार पर कड़ी सजा दिए जाने की अपील की तो आरोपियों के अधिवक्ता ने साक्ष्यों को संदिग्ध करने के लिए कई दलीलें प्रस्तुत की, दोनों पक्षों को सुनने के बाद जनपद न्यायाधीश दिलीप सिंह यादव ने यह निर्णय सुनाया। इससे दहेज लोभियों में कानून का भय व्याप्त हुआ।


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