नहीं शुरू हो सका दिल का इलाज,बंद है विभाग
आयुर्विज्ञान विश्वविद्यालय सैफई का हाल
नहीं शुरू हो सका दिल का इलाज,बंद है विभाग
बीपी सिंह यादव, सैफई :
उत्तर प्रदेश आयुर्विज्ञान विश्वविद्यालय में नए कुलपति के चार्ज लेने के पांच महीने के बाद भी दिल के रोगियों को इलाज मिलना शुरू नहीं हो सका है। इन्हें कानपुर और लखनऊ के अस्पतालों के लिए रेफर किया जा रहा है। दरअसल पिछले एक साल पहले करोड़ों रुपये के बजट के बावजूद यहां निर्धारित कीमत से कई गुना महंगे पेसमेकर लगाने वाले रैकेट का भंडाफोड़ होने पर यहां कार्डियोलाजी विभाग के सहायक प्रो. डा. समीर सर्राफ को निलंबित कर दिया गया था। तब से यहां के इंतजाम भगवान भरोसे होकर रह गये हैं।
बताते चलें उत्तर प्रदेश आयुर्विज्ञान विश्वविद्यालय सैफई में कार्डियोलाजी विभाग के सहायक प्रोफेसर डा. समीर सर्राफ ने मरीजों को पेसमेकर तय कीमत से अधिक रेट पर लगाया। जब इसकी शिकायत एक मरीज ने संस्थान के प्रशासन से की तो आनन-फानन में विश्वविद्यालय प्रशासन ने एक मजिस्ट्रेट जांच टीम बनाकर जांच करने की जिम्मेदारी सौंप दी। मजिस्ट्रेट की जांच टीम ने भ्रष्टाचार और तय कीमत से कई गुना अधिक कीमत तक वसूलने की अनियमितता पाई। तत्कालीन कुलपति प्रोफेसर डा. राजकुमार ने जांच रिपोर्ट के आधार पर डा. समीर सर्राफ को 24 मार्च 2021 को निलंबित कर दिया था। इसके बाद विश्वविद्यालय प्रशासन ने एक्सपर्ट्स की एक बड़ी जांच टीम गठित कर दी थी। जो जांच टीम अभी किसी अपने नतीजे पर नहीं पहुंची। जिस कारण विश्वविद्यालय का कार्डियोलाजी विभाग बंद चला रहा और मरीजों को इधर-उधर भटकना पड़ रहा है। अधिकांश मरीज यहां पर आते हैं तो उनको कानपुर और लखनऊ के लिए रेफर किया जा रहा है।
निलंबित डाक्टर समीर सर्राफ ने सीटीवीएस विभाग के प्रमुख डा. अमित सिंह पर साजिश फंसाने का आरोप लगाया था बाद में न्यायालय के आदेश पर डा. अमित सिंह के खिलाफ मुकदमा भी दर्ज करा दिया गया था।
लेकिन सवाल यह जरूर उठ रहा है कि इसके लिए जिम्मेदार लोग क्यों नहीं आंखें खोल रहे हैं। आखिरकार पिछले एक साल से अधिक समय बीतने के बाद जांच रिपोर्ट का हवाला देते हुए विश्वविद्यालय में कार्डियोलाजी विभाग की ओपीडी क्यों नहीं शुरू की गई है।
हालांकि इस बीच पांच महीने से नए कुलपति प्रोफेसर डा. प्रभात कुमार सिंह की भी तैनाती हो गई थी और दैनिक जागरण द्वारा खास बातचीत में दो महीने में विश्वविद्यालय व्यवस्थाओं में बदलाव की बात कुलपति द्वारा कही गई थी। लेकिन नए कुलपति के कार्यकाल के पांच महीने बीत चुके हैं पर कार्डियोलॉजी डिपार्टमेंट में ताला लटकता ही नजर आ रहा है।
200 से 300 मरीज आते थे
चिकित्सा विश्वविद्यालय के कार्डियोलाजी विभाग में सोमवार व गुरुवार के दिन ओपीडी संचालित की जाती थी। जिसमें करीब 200 से 300 मरीज देखे जाते थे। इसके अलावा डिपार्टमेंट में पेसमेकर, एंजियोग्राफी, आपरेशन की सुविधा थी। हर दिन 2 से 8 मरीजों के आपरेशन भी किए जाते थे।
कुलसचिव सुरेश चंद शर्मा का कहना है नए कुलपति के कार्यकाल में कार्डियोलाजी विभाग के लिए विज्ञापन जारी किया गया है। इंटरव्यू प्रक्रिया भी पूर्ण हो चुकी है। जल्द ही विभाग खोल दिया जाएगा।