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सुरक्षित वातावरण में शिक्षा प्राप्त करना मौलिक अधिकार

जागरण संवाददाता, इटावा : आए दिन बच्चों और किशोरों के साथ यौन शोषण की घटनाएं सामने आती

By JagranEdited By: Published: Sun, 10 Jun 2018 05:45 PM (IST)Updated: Sun, 10 Jun 2018 05:45 PM (IST)
सुरक्षित वातावरण में शिक्षा प्राप्त करना मौलिक अधिकार
सुरक्षित वातावरण में शिक्षा प्राप्त करना मौलिक अधिकार

जागरण संवाददाता, इटावा : आए दिन बच्चों और किशोरों के साथ यौन शोषण की घटनाएं सामने आती हैं। दो साल से लेकर 12-13 साल तक के किशोर किशोरियों के यौन शोषण की घटनाएं बीते दिनों में बढ़ी हैं। इन घटनाओं में ज्यादातर परिचित ही होते हैं। अक्सर ऐसी घटनाएं स्कूलों में भी सामने आती हैं।

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ऐसे ही एक मामले में शहर के एक स्कूल में शिक्षक द्वारा किए गए यौन उत्पीड़न को लेकर मामला जब थाने पहुंचा तो हड़कंप मच गया। हालांकि आनन-फानन में स्कूल प्रबंधन में तत्काल कार्रवाई करते हुए शिक्षक को तो नौकरी से बाहर कर दिया परंतु स्कूल प्रबंधन को दो महीने तक मानसिक परेशानी का सामना करना पड़ा। मामले में बाद में तो कोई कार्रवाई नहीं हुई लेकिन शिक्षक द्वारा की गई नादानी का खामियाजा स्कूल प्रशासन को उठाना पड़ा। स्कूल प्रशासन ने इस मामले को बड़े ही संवेदनशीलता से हैंडल किया और शिक्षक को स्कूल से हटाकर माता पिता को यह संदेश दिया कि उनकी नजर में बच्चे से बढ़कर कोई नहीं हैं।

सीबीएसई बोर्ड बच्चों को पूर्ण सुरक्षित एवं स्वच्छ वातावरण में शिक्षा देने के लिए प्रतिबद्ध है। बोर्ड का मानना है कि विद्यालय में विद्यार्थियों को सुरक्षित रखने का उत्तरदायित्व पूर्ण रूप से विद्यालय प्रबंध तंत्र का होगा। सीबीएसई के सिटी कोआर्डिनेटर एवं संत विवेकानंद सीनियर सेकेंडरी पब्लिक स्कूल के प्रधानाचार्य डा. आनंद ने बताया कि बच्चे दिन का अधिकांश समय विद्यालय में व्यतीत करते हैं। सुरक्षित वातावरण में शिक्षा प्राप्त करना बच्चों का मौलिक अधिकार है। जहां पर पूर्ण रूप से वह अपने आपको सुरक्षित महसूस करें। उन्होंने बताया कि स्कूलों में बच्चों को लैंगिक अपराधों से सुरक्षा कानून पॉक्सो-2012 के आदेशों का कड़ाई से पालन कराया जा रहा है। कक्षा एक से 12 तक की कक्षा में ¨लग संवेदनशीलता और समानता की दिशा में अपनी प्रतिबद्धता को मजबूत करने के लिए शिक्षकों के मैनुअल और का‌र्ड्स विकसित किए गए हैं। मैनुअल को एक व्यवहारिक गाइड के रूप में तैयार किया गया है जो अध्ययन और अध्यापन की प्रक्रिया को लैंगिक समानता के अनुकूल बनाता है। लैंगिक समानता व समन्वय को मजबूत करने के लिए प्लस टू लेबल पर मानवाधिकार एवं लैंगिक अध्ययन पर एक वैकल्पिक विषय भी दिया जा रहा है।

यह करें स्कूल प्रबंधन

- विद्यालयों के शिक्षकों व कर्मचारियों को अधिनियम के प्रावधानों के बारे में जागरूक बनाए जाने की जरूरत।

- ¨लग संवेदनशीलता पर शिक्षकों के लिए विशिष्ट मॉड्यूल के संबंध में सत्र आयोजित हो।

- यदि कोई अपराध करता है तो उसे कड़ी सजा दिए जाने का प्रावधान है।

- किशोर शिक्षा कार्यक्रम और विशेष क्रिया कलापों का आयोजन हो।

- लड़कियों के स्वास्थ्य एवं सुरक्षा के मुद्दे पर नियमित कार्यक्रम हों।

- लैंगिक समानता को बढ़ावा देने के लिए लोक नृत्य, नुक्कड़ नाटक, पोस्टर प्रतियोगिता, वाद विवाद, प्रदर्शनी जैसे कार्यक्रम आयोजित हों।

- विद्यालय शिकायत निवारण समिति का गठन किया जाना चाहिए।

यह है गाइड लाइन

- रणनीतिक स्थानों पर चेतावनी के साथ सीसीटीवी कैमरे विद्यालय में होने चाहिए।

- विद्यालय स्तर पर प्रदर्शन एवं मनोवैज्ञानिक व्यवहार की करीबी जांच हो।

- नोटिस बोर्ड पर नामी शिक्षकों के साथ टोल फ्री नंबर व चाइल्ड हेल्प लाइन की सुविधा प्रदान की जाए।

- केंद्रीयकृत बाल हेल्पलाइन नंबर 1098 को विद्यालय में सभी प्रमुख स्थानों पर लिखा जाए।

- स्थानीय पुलिस द्वारा विद्यालय के सुरक्षा मानकों का पर्यवेक्षण, बाहरी व्यक्तियों का प्रवेश वर्जित।

- सहायक कर्मचारियों की नियुक्ति मान्यता प्राप्त शिक्षण संस्थाओं से ही की जाए।

- गैर शैक्षणिक कर्मचारी जैसे, बस चालक, परिचालक, चपरासी एवं दूसरे अन्य की जांच का मूल्यांकन सावधानी से हो।


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