1.12 करोड़ खर्च,फिर भी भूखे गोवंश
आश्रय स्थलों में बदइंतजामी से बेसहारा गोवंश भूख-प्यास और बीमारी से तड़पते हुए दम तोड़ रहे हैं। कुछ आश्रय स्थलों को छोड़ दें तो अधिकांश में गोवंश की हालत अच्छी नहीं है। कहीं भी चारे का पर्याप्त इंतजाम नहीं है। चारे के नाम पर अपर्याप्त भूसा डाल दिया जाता है वह भी बिना चोकर या दाना के।
जागरण संवाददाता, इटावा : आश्रय स्थलों में बदइंतजामी से बेसहारा गोवंश भूख-प्यास और बीमारी से तड़पते हुए दम तोड़ रहे हैं। कुछ आश्रय स्थलों को छोड़ दें तो अधिकांश में गोवंश की हालत अच्छी नहीं है। कहीं भी चारे का पर्याप्त इंतजाम नहीं है। चारे के नाम पर अपर्याप्त भूसा डाल दिया जाता है, वह भी बिना चोकर या दाना के। गोवंश हरा चारा को तरसते रहते हैं। हालत यह है कि अकेले बसरेहर ब्लाक क्षेत्र में जनपद की सबसे बड़ी परौली रमायन गोशाला सहित चार गोशालाओं में संरक्षित 1448 गोवंश के पोषण पर अब तक 55 लाख रुपया व्यय किए जाने का दावा किया जा रहा है। जबकि पूरे जिले में पिछले छह माह में कुल 3563 गोवंश पर 1 करोड़ 12 लाख का व्यय बताया जा रहा है।
जनपद में कई ऐसे भी आश्रय स्थल हैं जहां गोवंश की संख्या के सापेक्ष अपर्याप्त भूसा दिया जाता है। सूखा भूसा खाना आसान नहीं होता, ऐसे में गोवंश खाली पेट भूख से तड़पते रहते हैं। बहुतों की तो भूख से जान जा चुकी है। गोवंश की शारीरिक हालत और आश्रय स्थल की तस्वीर प्रशासनिक बदइंतजामी की हकीकत बयां कर रही है। अब मुख्यमंत्री ने सख्ती की है तो जिला स्तर पर प्रयास हो रहा है, लेकिन अधिकांश आश्रय स्थलों में अपेक्षित सुधार नजर नहीं आ रहा है। हालांकि मुख्यमंत्री के कड़े निर्देश के बाद प्रशासनिक अधिकारियों के साथ पशु पालन विभाग हरकत में आया है। अस्थाई गोवंश आश्रय स्थल का विवरण देहात में 26 आश्रय व 8 कांजी हाउस में - 3021 गोवंश शहरी क्षेत्र में 5 आश्रय ---------------- 542 गोवंश जनपद में अस्थाई गो-आश्रय स्थलों में पोषण हेतु 1 करोड़ 20 लाख आवंटित हुई थी, जिसमें 1.12 लाख की धनराशि संबंधित क्षेत्र पंचायत/ नगर पालिकाओं को अवमुक्त की जा चुकी है। शेष 8 लाख की धनराशि मांग के अनुसार हस्तांतरित की जाएगी। डीएस राजपूत, मुख्य पशु चिकित्साधिकारी