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इंद्रापुर-टडंवा स्माइलपुर के कच्चे रास्ते पर चलना मुश्किल

संवादसूत्र निवाड़ी कलां ब्लॉक महेवा की ग्राम पंचायत इंद्रापुर और टड़वा स्माइलपुर गांव के

By JagranEdited By: Published: Thu, 29 Oct 2020 05:33 PM (IST)Updated: Fri, 30 Oct 2020 03:53 AM (IST)
इंद्रापुर-टडंवा स्माइलपुर के कच्चे रास्ते पर चलना मुश्किल
इंद्रापुर-टडंवा स्माइलपुर के कच्चे रास्ते पर चलना मुश्किल

संवादसूत्र, निवाड़ी कलां : ब्लॉक महेवा की ग्राम पंचायत इंद्रापुर और टड़वा स्माइलपुर गांव के बीच कच्चा रास्ता होने के कारण लोगों को आवागमन में परेशानी होती है। बरसात के दिनों में यह समस्या गंभीर हो जाती है। ग्रामीणों क़ा कहना है कि यह मार्ग कई वर्ष पुराना है। इसकी किसी ने सुध नहीं ली। दोनों गांवों के मध्य इस मार्ग की लंबाई करीब एक किलोमीटर है। ग्रामीणों द्वारा समय-समय पर इस मार्ग पर खड़ंजा बिछवाने की मांग की गई लेकिन न तो प्रधान और सचिव ने गौर किया और न ही किसी जनप्रतिनिधि ने। बरसात के दिनों में इस कच्चे मार्ग पर फिसलन होने लगती है और लोगों को निकलने में परेशानी होती है। मजबूरीबश राहगीर तीन से चार किलोमीटर क़ा चक्कर लगाकर दूसरे रास्ते से जाते हैं। जबकि दोनों गांवों के बीच क़ा यह रास्ता काफी कम पड़ता है। ग्रामीण विकास, सोनू, दिनेश, मुकेश मिश्रा, गुड्डू तिवारी, छुन्ना तिवारी, दिनेश चंदेल, महावीर, कौशल, कृष्ण दयाल, सुरजीत, बालमुकुंद ने प्रशासन से इस समस्या क़ा हल कराए जाने की मांग की है। टड़वा गांव के देवेंद्र सिंह क़ा कहना है कि अगर इस मार्ग पर ईंट क़ा खड़ंजा ही बिछवा दिया जाए तब भी काफी राहत मिलेगी। इंद्रापुर के कृष्णदयाल क़ा कहना है कि वैसे आवाजाही में दिक्कत नहीं है लेकिन बरसात में काफी परेशानी होती है। इस मार्ग के आसपास सैकड़ों बीघा खेती भी है। बरसात में ट्रैक्टर निकलने से मार्ग पर कीचड़ हो जाता है। इंद्रापुर निवासी मनोज शर्मा बताते हैं कि टड़वा उनका पड़ोसी गांव ही नहीं बल्कि एक मोहल्ले जैसा है क्योंकि दूरी भी बहुत कम है। 5 से 10 मिनट में पहुंचना हो जाता है लेकिन बरसात के मौसम में जाना क्या उधर देखने की भी हिम्मत नहीं होती है। इंद्रापुर की पंचायत सचिव लक्ष्मी भदौरिया ने बताया कि इस मार्ग की लंबाई ज्यादा है फिर भी कोशिश करके इस समस्या क़ा निस्तारण करेंगी। 17 वर्ष पहले ढली थी पुलिया

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इस मार्ग पर एक बड़ा नाला है। लोगों की मांग पर सिचाई विभाग ने वर्ष 2003-04 में पुलिया ढलवा दी तो लोगों को उम्मीद जागी कि शायद अब इस पर खड़ंजा भी बिछवाया जाएगा लेकिन 17 वर्ष बाद भी मार्ग कच्चा ही है।


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