बेसहारा पशुओं उजाड़ दी बाजरे की फसल
जसवंतनगररू बलरई क्षेत्र के नण्तौर में इन दिनों किसान आवारा पशुओं से बहुत परेशान हैं। किसानों का कहना है कि आवारा पशु रात दिन खेतों में उनकी फसलों को बर्बाद करते हैं। कई बार तो टॉर्च लेकर उनके पीछे भागना पड़ता है।
संवाद सहयोगी, जसवंतनगर : बलरई क्षेत्र के नगला तौर में इन दिनों किसान बेसहारा पशुओं से बहुत परेशान हैं। किसानों का कहना है कि यह पशु रात दिन खेतों में उनकी फसलों को बर्बाद करते हैं। कई बार तो टॉर्च लेकर उनके पीछे भागना पड़ता है। किसान रामबाबू का कहना है कि गेहूं, बाजरा की फसल बोई थी, लेकिन आवारा पशु उसे खराब कर रहे हैं। किसानों का कहना है कि सरकार खेती में तकनीक के प्रयोग से आय दोगुनी करने की बात करती है, लेकिन आय दोगुनी कैसे होगी। यदि फसल अच्छी हो भी जाए तो इन बेसहारा पशुओं का क्या करें। किसान को तो दोहरी मार सहनी पड़ती है। लोन लेकर खेती करता है, वहीं कभी मौसम और कभी पशु उसकी मेहनत पर पानी फेरने को उतारू हैं। गांव के किसानों को अपनी फसल बचाने के लाले हैं। जहां गांवों में नील गाएं की समस्या पहले से थी अब एक और समस्या इन किसानों को यहां के छुट्टा जानवर अपनी फसलें उगाने में अड़चने डाल रहे हैं। हालात ये हैं कि रात-रात जागने के बावजूद उनके खेतों में खड़ी गेहूं की फसलें ये जानवर साफ कर रहे हैं। आए दिन नुकसान उठा रहे किसान इस बात से परेशान हैं कि आखिर इस समस्या का निदान क्या है। अब तो गांव की सड़कों पर घूम रहे छुट्टा मवेशी बच्चों के लिये भी सरदर्द बने हुए हैं। ग्राम के सीमावर्ती क्षेत्र में खेती किसानी कर रहे लोगों की भी समस्या है। यहां खेतों में गेहूं की हरियाली फैल चुकी है। अब इंतजार है कि कब पौधों में बालियां आएंगी और और फस्ल तैयार होगी। फिर उसे लेकर किसानों के मन में भविष्य की तरह-तरह की योजनाएं भी जन्म लेने लगती हैं। लेकिन खेतों में अपना पसीना बनाने वाले इन किसानों के मंसूबों पर तब पानी फिर जाता है जब ये छुट्टा मवेशी उनके खेतों में न केवल इनकी फसल चर जाते हैं बल्कि अपने कदमों से उसे रौंद कर नष्ट भी कर देते हैं। इन मवेशियों को पकड़वाने के जिला प्रशासन ने कभी भी कोई प्रबंध नही किए। इस बारे ग्राम पंचायत द्वारा गोशाला का अभियान भी फुस्स हो गया है। किसान रामबाबू, लवकिशोर, राजकिशोर, पुनीत, रामेन्द्र, अश्वनी, राजनारायण, बंटू ने बताया कि इन छुट्टा जानवरों से अपनी फसलों को बचाने के लिए खेतों में ऊंची तार की बाड़ लगाई है। पर यह मवेशी इन तारों को भी पार कर जाते हैं अथवा तोड़ देते हैं। अब यह किसान रात-रात भर जाकर खेत बचाते हैं। फिर भी दूर-दूर तक फैले खेत बचाना आने वाली ठंड में मुश्किल होगा।