आसमान में बादल, प्रदूषण से छा गई धुंध
जागरण संवाददाता इटावा आसमान में घने बादल छाने तथा वातावरण में धुआं ही धुआं होने से बुधवार को सारा दिन चारों ओर धुंध छाई रही। तापमान सामान्य अधिकतम 29 तथा न्यूनतम 19 डिग्री रहा लेकिन हवा की रफ्तार महज पांच किमी होने से प्रदूषण से आम जनजीवन ने आंखों में जलन महसूस की। बारिश होने या सर्दी शुरू होने पर ही राहत मिलने की संभावना प्रकट की जा रही है।
जागरण संवाददाता, इटावा : आसमान में घने बादल छाने तथा वातावरण में धुआं ही धुआं होने से बुधवार को सारा दिन चारों ओर धुंध छाई रही। तापमान सामान्य अधिकतम 29 तथा न्यूनतम 19 डिग्री रहा लेकिन हवा की रफ्तार महज पांच किमी होने से प्रदूषण से आम जनजीवन ने आंखों में जलन महसूस की। बारिश होने या सर्दी शुरू होने पर ही राहत मिलने की संभावना प्रकट की जा रही है। मौसम परिवर्तन से सुबह की सैर करने वाले भी प्रभावित हुए जिन्होंने हवा में ताजगी के बजाए तीखापन महसूस किया, अधिकतर आंखें मलते हुए घर लौटे। सुबह धुंध ज्यादा छाने से वाहनों का आवागमन भी प्रभावित हुआ। अधिकतर वाहन चालक हेड लाइट रोशन करके नियंत्रित गति से वाहन चलाते नजर आए। सारा दिन आसमान में घने बादल इसकदर छाए रहे कि सूर्यदेव ने कई बार प्रकट होने का प्रयास किया लेकिन वे प्रकट नहीं हो सके। हालात इस कदर बेहाल रहे कि पैदल चलने वाले भी आंखों में जलन महसूस कर रहे थे। मौसम परिवर्तन से बच्चों से लेकर बुजुर्ग भी प्रभावित हुए। आतिशबाजी-पराली से प्रदूषण
दशहरा से दीपावली पर्व तक इस साल आतिशबाजी जमकर फूंकी गई। आतिशबाजी की मांग ज्यादा होने से बीते साल जो पटाखा 50 रुपये का था वो 150 रुपये तक बिका। दूसरी ओर इस साल पुलिस फोर्स ने भी गरीबों के घर जाकर आतिशबाजी बांटी इससे दीपावली पर्व चारों ओर आतिशबाजी के धमाके और धुआं छाया रहा। इसी के साथ अब अधिकतर धान उत्पादक किसान पराली को खेतों में ही जला रहे हैं, घरों और दुकानों के सामने कूड़ा जलाने की कुप्रथा बरकरार है। जिससे वातावरण में प्रदूषण बेतहाशा रूप से व्याप्त है। वातावरण जहरीला सजगता जरूरी
वरिष्ठ बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. डीके सिंह का कहना है कि दीपावली पर्व के बाद प्रदूषण से वातावरण जहरीला हो जाता है। अस्थमा, एलर्जी के शिकार रोगी तथा बच्चे ज्यादा प्रभावित होते हैं। जब तक सर्दी का मौसम नहीं आएगा तब तक वातावरण इसी तरह का रहेगा। इन दिनों सैर करना बंद कर दें, आंखों को सुबह से सोने के समय तक कई बार साफ पानी के छींटे मारकर साफ करें। बच्चों को सुरक्षित रखने के लिए उनके खान-पान पर विशेष ध्यान रखें जो माताएं अपने शिशुओं को स्तनपान कराती हैं वे स्वयं का खान-पान नियंत्रित रखें तभी बचाव हो सकेगा।