स्कूल में गोवंश बंद करने वालों पर प्रशासन का चाबुक
संवाद सूत्र, ऊसराहार : स्कूल में पशुओं को बंद करने वाले ग्रामीणों पर प्रशासन का चाबुक चल
संवाद सूत्र, ऊसराहार : स्कूल में पशुओं को बंद करने वाले ग्रामीणों पर प्रशासन का चाबुक चल गया है। समथर गांव में विद्यालय में गोवंश बंद करने वाले 80 से अधिक ग्रामीणों पर 7 क्रिमिनल एक्ट सहित 11 संगीन धाराओं में मुकदमा दर्ज कराया गया है।
सोमवार की रात ऊसराहार थाना क्षेत्र के समथर गांव में बने प्राथमिक एवं उच्च प्राथमिक विद्यालय के परिसर में समथर ग्राम पंचायत के 10 से अधिक गांव के ग्रामीणों ने रात में लगभग 200 गोवंशों को विद्यालय की बाउंड्री वॉल में उस समय बंद कर दिया था जब उक्त गोवंश उनके खेतों की फसलें उजाड़ रहे थे। घटना की जानकारी मंगलवार की सुबह प्राथमिक विद्यालय के प्रधानाध्यापक मोहम्मद रफीक द्वारा शासन प्रशासन को दी गई थी। थाना पुलिस एवं उपजिलाधिकारी सत्य प्रकाश ने ग्रामीणों को समझा बुझाकर विद्यालय परिसर में बंद सभी जानवरों को बाहर निकलवाया था। ग्रामीणों को 3 दिन के अंदर गोवंश को गोशालाओं में भेजने का आश्वासन भी दिया था। लेकिन दोपहर के बाद प्रधानाध्यापक मोहम्मद रफीक की तहरीर पर समथर निवासी सुरेंद्र ¨सह पुत्र कृष्ण गोपाल सहित अस्सी से पचासी अज्ञात लोगों के विरुद्ध धारा 147, 149, 332, 353, 447, 341, 427, 506, 2/3 सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान 7 क्रिमिनल एक्ट एवं धारा 11 पशुओं के प्रति क्रूरता सहित कुल 11 संगीन धाराओं में ग्रामीण किसानों के विरुद्ध मुकदमा दर्ज कराया गया है। थानाध्यक्ष योगेंद्र शर्मा ने बताया प्रधानाध्यापक की तहरीर पर मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी गई है। अज्ञात लोगों को मौके पर की गई फोटोग्राफी एवं वीडियोग्राफी के आधार पर चिह्नित किया जाएगा। 20 दिन बाद भी एक भी गोशाला शुरू नहीं उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के द्वारा दिए गए सख्त दिशा निर्देशों के अनुसार 10 जनवरी तक सभी गोवंशों को गोशालाओं में भेज दिया जाना चाहिए था। लेकिन ताखा तहसील में गोशालाओं में 10 जनवरी तक एक भी गोवंश को नहीं भेजा जा सका था। इतना ही नहीं 10 जनवरी के बाद जनवरी माह के 20 दिन और गुजर जाने के बाद भी ताखा तहसील में एक भी गोशाला तैयार नहीं हो पाई। जबकि किसानों के खेतों में इस समय गेहूं की हरी-भरी लहराती हुई फसलें खड़ी हुई हैं। इस कड़कड़ाती सर्दी में जहां सभी लोग घरों में अपनी रजाई के सहारे रात की गर्मी पाते हैं वहीं खेतों के किसान पूरी पूरी रात जागकर इन छुट्टा जानवरों से अपनी फसलों की रखवाली करते हैं। शायद इसी मंशा के चलते ग्रामीणों ने आसपास के बने विद्यालय में जानवरों को भेजकर अपने खेतों की फसलों को बचाना ही मुनासिब समझा होगा।