पशु मेले में सन्नाटा,नहीं आए व्यापारी
जागरण संवाददाता, इटावा : इटावा महोत्सव के तत्वावधान में बीते 116 सालों से लगता आ रहा पशु मेल
जागरण संवाददाता, इटावा : इटावा महोत्सव के तत्वावधान में बीते 116 सालों से लगता आ रहा पशु मेला अपना ऐतिहासिक स्वरूप खो चुका है। पशु व्यापारियों की सुविधा का ख्याल न रखे जाने से तथा बीते दो सालों से पशु व्यापारियों के साथ होने वाली अभद्रता के डर से जहां गत वर्ष मेला समय से पूर्व संपन्न हो गया था, वहीं इस वर्ष भी अभी तक एक भी पशु व व्यापारी नहीं आया है। दीपावली की द्वीज से हर वर्ष पशु मेले का शुभारंभ किया जाता था। हालांकि मेला प्रशासन ने मेला चलने की उम्मीद को लेकर शिविर लगवा दिया है। इस वर्ष भी गत वर्ष की तरह अभी तक एक भी पशु एवं पशु व्यापारी नहीं आया है। इससे मेला को एक भी पैसा की आय नहीं हुई है। जानकार लोग बताते हैं कि अब किसान आधुनिक संसाधनों के इस्तेमाल के रूप में ट्रैक्टर आदि का प्रयोग करने लगे हैं। पशु पालन कम हो जाना भी मेला फ्लाप होने का कारण माना जा रहा है। वहीं कुछ लोगों का कहना है कि सरकार द्वारा पशुओं को लेकर जो सख्त कानून बनाए गए हैं उससे भी मेले में पशु व पशु व्यापारी नहीं आ रहे हैं। पशु मेला का आयोजन पहली बार वर्ष 1888 से लेकर 1893 तक पक्का तालाब के पास किया गया था। इसके बाद वर्ष 2010 से वर्तमान स्थल पर आ गया था। जो निर्वाध रूप से चलता रहा। लेकिन वर्ष 2017-18 में एक भी पशु व व्यापारी नहीं आए। पशु मेला से होने वाली आय एक नजर में : - वर्ष 2012-13 ---- 7,71,100 रुपया
- वर्ष 2013- 14 - 7,84,600 रुपया
- वर्ष 2014-15 -- 7,87,250 रुपया
- वर्ष 2015-16 -- 3,33,900 रुपया
- वर्ष 2016-17 - 2,95,250 रुपया
- वर्ष 2017-18 - 00 अधिकारी बोले : उपजिलाधिकारी सिद्धार्थ जनरल सेक्रेटरी महोत्सव समिति का कहना है कि इस वर्ष पशु व्यापारियों के आने की संभावना को लेकर ही शिविर लगवा दिया गया है। मेला के लिए प्राथमिक व्यवस्थाएं पूरी कर दी गई हैं। अगर पशु व्यापारी आते हैं तो मेला लगाया जाएगा।