बच्चा अस्पताल में चिकित्सक का अभाव
जागरण संवाददाता, इटावा : शहर का अति प्राचीन डा. एसएन गुप्ता राजकीय बाल रोग चिकित्सालय प्रशा
जागरण संवाददाता, इटावा : शहर का अति प्राचीन डा. एसएन गुप्ता राजकीय बाल रोग चिकित्सालय प्रशासनिक अधिकारियों की उदासीनता का दंश झेल रहा है। बच्चा अस्पताल में शासन की ओर से चार चिकित्सकों के पद सृजित किए हुए हैं जबकि मात्र एक चिकित्सक संविदा पर तैनात है, उनकी कुर्सी अधिकांश खाली ही रहती है तथा सैफई मेडिकल कालेज से आने वाले चिकित्सक व उनके ट्रेनी मेडिकल छात्र ही बच्चों को उपचार मुहैया कराते हैं। शुक्रवार को वह भी 12 बजे अस्पताल छोड़कर चले गए तो फार्मासिस्ट ने ही बच्चों को उपचार उपलब्ध कराया। यह हालत एक दिन की नहीं तकरीबन नित्य ही देखी जा ती है। जो संविदा पर डाक्टर तैनात है, वह कब आए और कब चली जाए कोई समय सीमा निर्धारित नहीं है। अस्पताल परिसर का हैंडपंप खराब गंदगी के अंबार डा. एसएन गुप्ता राजकीय बाल रोग चिकित्सालय का उद्घाटन 23 फरवरी 1971 को तत्कालीन स्वास्थ्य मंत्री अनंतराम जैसवाल ने किया था। तथा इसकी आधार शिला तत्कालीन केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डा. सुशीला नैय्यर ने 25 मार्च 1966 को रखी थी। अस्पताल में मरीजों के तीमारदारों की प्यास बुझाने के लिए जो हैंडपंप लगा हुआ है अर्से से खराब पड़ा हुआ है। इसके साथ ही अपार गंदगी चारों ओर देखी जा सकती है। चिकित्सक कक्ष में लगा ताला बताया गया है कि इस बच्चा अस्पताल में सैफई मेडिकल कालेज के चिकित्सक डा. धीरज 12 बजे ही अपनी टीम के साथ चले गए। उनके जाते ही कमरे में ताला लगा दिया गया। मरीज कमरे के बाहर बैठ कर इंतजार करते रहे। अस्पताल में एक संविदा चिकित्सक की तैनाती की गई है वह पूर्व में सीएमओ पद पर रह चुकीं हैं, आरोप है कि वह मरीज कम देखती हैं, अधिकांश समय गायब ही रहती हैं। शुक्रवार को सवा 12 बजे भी उनकी कुर्सी खाली मिली, बताया गया कि वह चली गई हैं। मरीजों की रहती भरमार बच्चा अस्पताल में हर रोज बच्चा मरीजों की भरमार रहती है। बीते तीन दिनों में 150 से 170 बच्चे उपचार के लिए आए, समय से पहले चिकित्सकों के चले जाने के कारण मरीजों को खासी परेशानी उठानी पड़ती है। मरीजों के तीमारदार फार्मासिस्ट से ही दवा लेने को मजबूर होते हैं। जिम्मेदार बोले बच्चा अस्पताल में एक चिकित्सक की तैनाती की गई है तथा सैफई मेडिकल कालेज के चिकित्सक भी आते हैं। बावजूद इसके समय से पूर्व अगर चिकित्सक चले जाते हैं तो जांच के बाद कार्रवाई सुनिश्चित की जाएगी।
-डा. एके अग्रवाल, मुख्य चिकित्साधिकारी