आतिशबाजी मुक्त दीपावली मनाएं, पर्यावरण बचाएं
-पटाखा फोड़ना स्वास्थ्य के लिए होता हानिकारक जनता से अपील फोटो 11 से 14 जागरण
जागरण संवाददाता, इटावा : दीपावली पर आतिशबाजी चलाने की परंपरा भले ही पुरानी हो, लेकिन इस साल हालात बहुत कुछ बदले हुए हैं। कोरोना काल में पड़ने वाली दीपावली पर हम सब लोगों को जहां बीमारी से बचाव करना है वहीं पर्यावरण को भी बचाना है। कोरोना से बचने के लिए ही आतिशबाजी मुक्त दीपावली मनाने की जनहित में अपील की जा रही है।
आंखों के लिए नुकसानदायक आतिशबाजी का धुआं
जिला अस्पताल के वरिष्ठ नेत्र रोग सर्जन डॉ. गौरव द्विवेदी का कहना है कि आतिशबाजी के धुआं से आंखों में पानी आना, आंख लाल हो जाना तथा रोशनी कम होकर धुंधला दिखने की संभावना बनी रहती है।
अधिक आवाज पर फट सकता कान का पर्दा
ईएनटी सर्जन डॉ. संजय कुमार का कहना है कि दीपावली पर युवा बड़ी संख्या में ऊंची आवाज के पटाखा छुड़ाते हैं जो कानों के लिए खतरनाक होता है। लोगों को अधिक आवाज की क्षमता वाले पटाखे नहीं छुड़ाना चाहिए। 100 डेसीबल से अधिक आवाज के पटाखों से कान का पर्दा फट सकता है तथा सुनाई देना बंद हो सकता है।
शुद्ध पर्यावरण के लिए हानिकारक पर्यावरणविद् डॉ. राजीव चौहान का कहना है कि दीपावली पर लोग आतिशबाजी छुड़ाकर भले ही खुशियां मना लें, लेकिन सर्दी में दीपावली होने के कारण आतिशबाजी पर्यावरण के लिए विशेष हानिकारक होती है। सर्दी के कारण गरम हवा ऊपर नहीं जा पाती है। इसलिए इनका ध्वनि प्रदूषण व वायु प्रदूषण अधिक नुकसान दायक होता है। हमें आतिशबाजी मुक्त दीपावली ही मनानी चाहिए। यही पर्यावरण के हित में है।
धुआं फेफड़ों को करता प्रभावित
कोरोना जांच प्रभारी डॉ. सुशील कुमार का कहना है कि आतिशबाजी का धुआं कई तरह की बीमारियों का जनक होता है। इससे फेफड़े की चाल भी प्रभावित होती है। सांस लेने में तकलीफ व खांसी की शिकायत होकर कोरोना को आमंत्रित करने वाली होती है। इसलिए आतिशबाजी मुक्त दीपावली मनाएं और कोरोना भगाएं।