दिमागी चोट को कभी हल्के में नहीं लेना चाहिए
हसंवाद सहयोगी सैफई उत्तर प्रदेश आयुर्विज्ञान विश्वविद्यालय के न्यूरोसाइंस विभाग द्वारा एकदिवसीय न्यूरोसाइंसेज अपडेट-2019 का आयोजन किया गया। सम्मेलन का उद्घाटन मुख्य अतिथि विख्यात न्यूरोसर्जन एवं एसजीपीजीआई लखनऊ के पूर्व निदेशक प्रो. एके महापात्रा ने किया। सम्मेलन में न्यूरोसाइंस में हुई हाल के दिनों में हुई प्रगति को न्यूरोफिजिशियन एवं न्यूरोसर्जन ने साझा किया।
संवाद सहयोगी, सैफई : उत्तर प्रदेश आयुर्विज्ञान विश्वविद्यालय के न्यूरोसाइंस विभाग द्वारा एकदिवसीय न्यूरोसाइंसेज अपडेट-2019 का आयोजन किया गया। सम्मेलन का उद्घाटन मुख्य अतिथि विख्यात न्यूरोसर्जन एवं एसजीपीजीआई, लखनऊ के पूर्व निदेशक प्रो. एके महापात्रा ने किया। सम्मेलन में न्यूरोसाइंस में हुई हाल के दिनों में हुई प्रगति को न्यूरोफिजिशियन एवं न्यूरोसर्जन ने साझा किया।
न्यूरोसाइंसेज अपडेट-2019 के मुख्य अतिथि एवं जाने माने न्यूरोसर्जन प्रो. एके महापात्रा ने हेड इंजरी मैनेजमेंट पर बोलते हुए कहा कि दिमागी चोट गंभीर हो सकता है और उसका शारीरिक एवं मानसिक क्रियाओं पर जीवनभर के लिए असर पड़ सकता है। उन्होंने बताया कि हर साल भारत में कई लाख लोग सिर की गंभीर चोट यानी ट्रॉमेटिक ब्रेन इंजरी का शिकार बनते हैं और कई लोग इससे जान भी गवां बैठते हैं। उन्होंने आगाह किया कि दिमागी चोट को कभी भी हल्के में नहीं लेना चाहिए।
उद्घाटन अवसर पर बोलते हुए विश्वविद्यालय के कुलपति एवं न्यूरोसांइसेज अपडेट-2019 के आग्र्रेनाइजिग चेयरमैन प्रो. (डा.) राजकुमार ने कहा कि भारत में न्यूरोसाइंस की एक लम्बी परम्परा रही है। उन्होंने कहा कि न्यूरो से संबंधित शुरूआती समस्याओं को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। यदि समस्या को जल्द पहचान लिया जाये और समय से न्यूरो संबंधित समस्याओं का इलाज शुरू कर दिया जाये तो सर्जरी के जोखिम को कम किया जा सकता है। डा. राजकुमार ने कहा कि वर्तमान में मिर्गी, स्ट्रोक, पार्किंसंस रोग और कंपन सहित सामान्य न्यूरोलॉजिकल विकारों की समस्या में इजाफा हुआ है।
न्यूरोसांइसेज अपडेट-2019 में बोलते हुए एसजीपीजीआइ, लखनऊ के न्यूरोलॉजी विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. यूके मिश्रा ने बताया कि एक न्यूरोलॉजिस्ट को न्यूरो से संबंधित रोगों के लक्षणों का बारीकी से विश्लेषण करने के साथ पूरे ध्यान से रोगी के रोग से जुड़े इतिहास का अध्ययन भी करना होता है।
आर्गेनाइजिग सेक्रेटरी प्रो. रमाकान्त यादव ने कहा कि न्यूरोलॉजिकल विकारों के लक्षणों के बारे में जागरूकता को बढ़ाने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि उपचार में देरी के कारण स्ट्रोक के एक तिहाई से अधिक मरीज जीवन भर इस समस्या से जूझते रहते हैं। उन्होंने कहा कि गंभीर स्ट्रोक से पीड़ित रोगियों को समय से अस्पताल पहुंचाना जरूरी है ताकि समय से इलाज शुरू हो सके।
डा. नवनीत कुमार, डा. पीके माहेश्वरी, न्यूरोसाइंस विभाग से डा. मोहम्मद फहीम, डा. अर्चना वर्मा, डा. मोहम्मद अहमद अंसारी, डा. हनुमान प्रसाद प्रजापति, विश्वविद्यालय के संकाय अध्यक्ष डा. आलोक कुमार, चिकित्सा अधीक्षक डा. आदेश कुमार तथा विश्वविद्यालय के कुलसचिव सुरेश चन्द्र शर्मा आदि उपस्थित रहे।
इन विषयों पर विशेषज्ञों ने व्याख्यान दिए गाइडलाइन फॉर हेड इंजरी मैनेजमेंट- डा. एके महापात्रा
गाइडलाइन फॉर न्यूरो सिस्टिसेरसोसिस मैनेजमेंट- डा. आरके गर्ग
ऑप्टिमम ट्रेनिग इन न्यूरोलॉजी इन इण्डिन सेनैरियो- डा. यूके मिश्रा
कैरिकुलम फॉर ऑप्टिमम ट्रेनिग इन न्यूरो सर्जरी- डा. राजकुमार
गाइडलाइनस फॉर रिहैविलिटेशन ऑफ स्ट्रोक पेसेंट- डा. रमाकान्त यादव
सर्जिकल मैनेजमेंट ऑफ ड्रग रेसिस्टेन्ट एपिलेप्सी- डा. अनन्त महरोत्रा
न्यूअर ड्रग इन ऐपिलेप्सी- डा. नवनीत कुमार
एपिलेप्सी अवेयरनेस इन इण्डिया, रोल ऑफ नेशनल इंस्टीट्यूट - डा. वीएन मिश्रा
कोर्टिकल वेनस थ्रोम्बोसिस- डा. जे कलिता