मोर्चरी में आठ दिन तक सड़ती रही बदनसीब की लाश
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मोर्चरी में आठ दिन तक सड़ती रही बदनसीब की लाश
सोहम प्रकाश, इटावा
मोर्चरी में एक बुजुर्ग की लाश आठ दिन तक सड़ती रही। दुर्गंध जिला अस्पताल और डाक्टर्स, नर्सिंग स्टाफ की कालोनी तक पहुंचकर हाजमा बिगाड़ने लगी। यह सड़ांध एक बदनसीब की नहीं, वरन उस सिस्टम की थी, जिसकी संवेदना भी उस बुजुर्ग के साथ मर गई थी और हर तरफ उसकी दुर्गंध महसूस की जा रही थी। नियमानुसार लावारिस लाश की अंत्येष्टि 72 घंटे बाद किए जाने का प्रविधान है, लेकिन उस बदनसीब बुजुर्ग की लाश थानों के अधिकार क्षेत्र के विवाद में उलझ कर सड़ती रही। सुधि तब ली गई, जब सिस्टम के लिए भी सांस लेना असहनीय होने लगा।
हादसा 10 जून का है। दोपहर बाद इटावा जंक्शन के प्लेटफार्म नंबर दो पर एक बुजुर्ग गंभीर घायल अवस्था में पड़ा पाया गया। वह ट्रेन की चपेट में आ गया था। उसको आरपीएफ के हैड कांस्टेबल अजय पाल ने डा. भीमराव आंबेडकर राजकीय संयुक्त चिकित्सालय के इमरजेंसी वार्ड में अपराह्न तीन बजे भर्ती कराया। उससे नाम-पता पूछने की कोशिश की गई, तो बताए अनुसार अस्पताल के रिकार्ड में 59 वर्षीय पंकज सिन्हा पुत्र सिद्धेश्वर प्रसाद निवासी जगदंबा पंत वेरी रोड, पटना, बिहार अंकित किया गया। इलाज लंबा चला और 17वें दिन 26 जून को दिन के ढाई बजे उसने दम तोड़ दिया। लेकिन इन गुजरे 17 दिनों में पंकज सिन्हा का कोई स्वजन नहीं आया। अस्पताल प्रशासन की तरफ से उसके स्वजन तक सूचना पहुंचाने की कोशिश नहीं की गई। तर्क दिया जाता रहा कि नाम-पता के साथ मोबाइल नंबर नहीं मिला, इसलिए समय रहते पीड़ित के स्वजन को नहीं की जा सकी।
लावारिस बुजुर्ग की मौत के साथ ही सिस्टम की लापरवाही की शुरुआत हो गई। दिन के ढाई बजे मौत होने के बाद लाश को अस्पताल की मोर्चरी में रख दिया गया लेकिन अस्पताल प्रशासन द्वारा इसकी प्रथम सूचना सिविल लाइन थाना को रात 12.15 बजे दी गई। 26 जून को मौत के बाद नियमानुसार 72 घंटे बाद पोस्टमार्टम की कार्रवाई के साथ अंत्येष्टि 28 जून को हो जानी चाहिए थी। लेकिन 30 जून तक लाश की सु्धि नहीं ली गई। नतीजतन भीषण गर्मी में सड़ती रही लाश से जब उड़ती सड़ांध से अस्पताल और कालोनी में मरीजों, तीमारदारों, स्टाफ का सांस लेना मुश्किल होने लगा तो इस बारे में सीएमएस डा. एमएम आर्या से शिकायत की गई। इस पर उन्हाेंने जीआरपी और सिविल लाइन थाना से पचाचार किया, लेकिन मामला सिफर रहा। दो दिन बाद भी दोनों थानों द्वारा सुधि नहीं लगी गई, तब सीएमएस ने सीएमओ डा. भगवान दास को इस बारे में बताया। सीएमओ ने तीन जुलाई को एसएसपी जय प्रकाश सिंह से बात की, तब उनके निर्देश पर जीआरपी थाना पुलिस ने पंचनामा भरे जाने और पोस्टमार्टम के बाद अंत्येष्टि की गई।
सिविल लाइन थानाध्यक्ष मो. कामिल का कहना है कि 27 जून को आरपीएफ को सूचना दे दी गई थी लेकिन इस सूचना को आगे जीआरपी तक नहीं बढ़ाया गया। बुजुर्ग रेलवे स्टेशन पर घायल हुआ था, इसलिए उसके मरने के बाद पोस्टमार्टम और अंत्येष्टि की जिम्मेदारी जीआरपी की थी। दूसरी तरफ जीआरपी थानाध्यक्ष नौशाद अहमद का कहना है कि उनको बुजुर्ग की माैत की सूचना 30 जून को मिली। नियमानुसार 72 घंटे की मियाद के मद्देनजर एक सिपाही को मृतक के अंकित नाम-पता पर भेजा गया था लेकिन वह नाम-पता गलत निकला। उनका यह भी कहना है कि बुजुर्ग की मौत सिविल लाइन थाना क्षेत्र में स्थित राजकीय चिकित्सालय में हुई थी, इसलिए पोस्टमार्टम और अंत्येष्टि की जिम्मेदारी उसकी थी।