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रक्षाबंधन पर्व पर भद्रा का योग नहीं

जागरण संवाददाता रक्षाबंधन पर्व पर इस साल भद्रा का योग नहीं है आज स्वतंत्रता दिवस यानी 15 अगस्त को भद्रा सूर्योदय होते ही समाप्त हो जाएगी इससे पूरे दिन शुभ योग है। लेकिन मध्य में राहूकाल के दौरान पर्व नहीं मनाना चाहिए। यह पर्व बहनों की रक्षा के लिए तो प्रेरित करता ही है साथ ही समाज में आपसी भाईचारा को बढ़ावा देता है।

By JagranEdited By: Published: Wed, 14 Aug 2019 09:57 PM (IST)Updated: Fri, 16 Aug 2019 06:32 AM (IST)
रक्षाबंधन पर्व पर भद्रा का योग नहीं
रक्षाबंधन पर्व पर भद्रा का योग नहीं

जागरण संवाददाता, रक्षाबंधन पर्व पर इस साल भद्रा का योग नहीं है, आज स्वतंत्रता दिवस यानी 15 अगस्त को भद्रा सूर्योदय होते ही समाप्त हो जाएगी इससे पूरे दिन शुभ योग है, लेकिन मध्य में राहूकाल के दौरान पर्व नहीं मनाना चाहिए। यह पर्व बहनों की रक्षा के लिए तो प्रेरित करता ही है साथ ही समाज में आपसी भाईचारा को बढ़ावा देता है।

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यह बात प्रख्यात ज्योतिषाचार्य एवं राज्यपाल से पुरस्कृत आचार्य ब्रह्म कुमार मिश्र ने कही। उनका कहना रक्षाबंधन पर्व शुभ काल में मनाया जाएगा। पूर्णिमा शाम 5:58 बजे तक होने से पूरे दिन यह पर्व मनाया जाएगा। इस पर्व पर इस बार कई शुभ योग हैं, श्रावण नक्षत्र सुबह 8.02 बजे तक काफी शुभ है, इसके पश्चात घनिष्ठा नक्षत्र तथा 11 बजे तक सौभाग्य योग भी शुभ है। इसके पश्चात शोभन योग में रक्षाबंधन पर्व मनेगा, सूर्य कर्क तथा चंद्रमा मकर राशि में रहेंगे जो शुभकारी है। अपराह्न 2.02 से 3.43 बजे तक राहुकाल है इतनी अवधि में रक्षाबंधन ही नहीं अपितु कोई भी शुभ कार्य नहीं करना चाहिए। इसी पर्व पर विप्र जन उपाकर्म भी करेंगे जो नदी या तालाब में स्नान करके पूजन उपरांत यज्ञोपवीत बदला जाता है। रक्षाबंधन से इंद्रदेव ने पाई थी विजय प्राचीन काल में देवराज इंद्र जब 12 साल तक युद्ध लड़ने के बावजूद असुरों से हार गए थे। उसके बाद गुरुदेव वृहस्पतिदेव ने रक्षा विधान कराया और इंद्राणी ने रक्षा पोटली इंद्रदेव के दाहिने हाथ पर बांधी तब इंद्रदेव ने तीनों लोकों पर विजय पाकर सिंहासन ग्रहण किया था। इसी पर्व का मां भगवती लक्ष्मीजी ने राजा बलि को रक्षासूत्र बांधकर श्रीहरि अपने स्वामी भगवान विष्णुजी को पाया था। इससे यह पर्व सनातन संस्कृति में श्रद्धाभाव से मनाया जाता है।


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