अभिव्यक्ति की आजादी के मायने समझा रहे अश्वनी
मनोज तिवारी बकेवर (इटावा) देश को आजादी मिले कई वर्ष हो चुके हैं मगर आज भी कई ल
मनोज तिवारी, बकेवर (इटावा) : देश को आजादी मिले कई वर्ष हो चुके हैं मगर, आज भी कई लोग संविधान में मिले अधिकारों और अभिव्यक्ति की आजादी से अच्छी तरह वाकिफ नहीं हैं। समाज में कुछ लोग ऐसे हैं जो आज इन अधिकारों और अभिव्यक्ति की आजादी के मायने दूसरों को समझाकर इस महान लोकतंत्र की नींव मजबूत कर रहे हैं। इन्हीं में से एक हैं महेवा विकास खंड के ग्राम ईकरी निवासी अश्वनी त्रिपाठी। वह जहां स्वयं अभिव्यक्ति की आजादी के अधिकार का प्रयोग कर रहे हैं, वहीं दूसरों को भी प्रेरित कर रहे हैं। जिला विधिक सेवाएं प्राधिकरण के माध्यम व समाजसेवी संगठनों के सहयोग से संविधान में दिए गए अधिकारों की जरूरी जानकारी देकर अश्वनी आम जनता को जागरूक कर रहे हैं। इसके लिए कानूनी जागरूकता शिविर लगाते हैं।
समाजसेवा में रुचि होने के कारण 39 वर्षीय अश्विनी जिला विधिक सेवाएं प्राधिकरण से जुड़े तथा वालंटियर के रूप मे कार्य कर रहे हैं। वह प्राधिकरण के बैनर तले प्रवासी मजदूरों को उनके अधिकारों के बारे मे समझा रहे हैं। इसके अलावा कई सामाजिक संगठनों से भी जुड़कर लोगों को जागरूक कर रहे हैं। अश्वनी गांव के सहकारिता आंदोलन से भी जुड़े हैं। वह लोगों को शिविर लगाकर विभिन्न कानूनों की जानकारी देते हैं। शिक्षण संस्थाओं में भी विद्यार्थियों को जानकारी दी जाती है।
अश्विनी त्रिपाठी बताते हैं, सामाजिक क्षेत्र में कार्य करने की प्रेरणा अपने पिता 101 वर्षीय सेवा निवृत्त शिक्षक शौखी लाल त्रिपाठी से मिली। वह अभी तक दो सौ से ज्यादा गांवों में शिविर लगा चुके हैं। इनमें से करीब 50 से अधिक शिविरों में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के मायने भी बताए गए। वह बताते हैं कि यह हमारा मौलिक अधिकार है जो संविधान में दिया गया है। कोई भी व्यक्ति अपने विचार भाषण या लिखित रूप में व्यक्त कर सकता है। चलचित्र व संचार माध्यमों से भी व्यक्त किए जा सकते हैं। हालांकि, अभिव्यक्ति सीमाओं और मर्यादाओं के भीतर होनी चाहिए, इस अधिकार का दुरुपयोग नहीं किया जाना चाहिए।