आगरा-लखनऊ एक्सप्रेस-वे पर 15 किलोमीटर तक मिट्टी धंसकी
आगरा से लखनऊ को जोडऩे वाला सबसे सीधा मार्ग पिछले 15 दिनों से बारिश की मार नहीं झेल पा रहा है। 15 किमी सड़क के दोनों ओर मिट्टी धंसक रही है।
इटावा (जेएनएन)। आगरा-लखनऊ एक्सप्रेस-वे पर बारिश के बाद कई किलोमीटर तक मिट्टी धंसकना शुरू हो गई है। निर्माण के दौरान मिट्टी की गुणवत्ता को ध्यान में न रखना इसका प्रमुख कारण माना जा रहा है। आगरा से लखनऊ को जोडऩे वाला सबसे सीधा मार्ग पिछले 15 दिनों से बारिश की मार नहीं झेल पा रहा है। सड़क में दरार आने, पुलों के नीचे पानी भरने, ड्रेन टूटने और एक्सप्रेस-वे के किनारे बने रेन हार्वेस्टिंग वाटर प्लांट के सही से काम न करने के कारण समस्या और भी गंभीर होती जा रही है।
मिट्टी डालने में सारे नियम दरकिनार
चौपुला से भरतिया के बीच में लगभग 15 किलोमीटर की दूरी में सड़क के दोनों ओर मिट्टी धंसक रही है। कई जगहों पर तो मिट्टी के ऊपर लगाए गए पत्थर भी धंसक गए हैं। इस हिस्से में लगभग 10 किलोमीटर से भी ज्यादा निर्माण कार्य नागार्जुना कंस्ट्रक्शन कंपनी द्वारा किया गया है। निर्माण के दौरान एक्सप्रेस-वे पर डाली जाने वाली मिट्टी का ठेका कई क्षेत्रीय प्राइवेट ठेकेदारों ने ले लिया था, जिन्होंने अपना खेल करने के लिए एक्सप्रेस-वे के निर्माण से ही समझौता कर डाला और भारी मात्रा में एक्सप्रेस-वे पर ऊसर की मिट्टी को डाल दिया, जबकि निर्माण के दौरान गुणवत्तापरक मिट्टी को ही मार्ग पर डाला जाना चाहिए था। इसके बाद भी सारे नियमों को दरकिनार कर डाली गई ऊसर की मिट्टी आज भारी बाधा बन कर उभर रही है।
जहां घास नहीं वहां ज्यादा समस्या
एक्सप्रेस-वे का निर्माण पूरा होते ही सड़क के दोनों किनारों पर जिन-जिन स्थानों पर मार्ग को ऊपरी सतह दी गई है उन सभी स्थानों पर एक्सप्रेस-वे से सर्विस रोड की ओर बने ढलान पर घास लगाया गया। जिन-जिन स्थानों पर मिट्टी गुणवत्तापरक थी वहां घास जमकर तैयार हो गई, लेकिन जिन स्थानों पर ऊसर की मिट्टी पड़ी, वहां घास नहीं जमी। अब बारिश के दौरान उन्हीं स्थानों पर सबसे ज्यादा मिट्टी धंसकी है। बेरीकेडिंग के लिए लगाए गए पोल भी ढहने की कगार पर आ गए।
दूर कराई जा रही समस्या
नागार्जुन कंस्ट्रक्शन कंपनी के प्रोजेक्ट मैनेजर नीरज बालियान ने बताया कि भारी बारिश के कारण ही कुछ स्थानों पर मिट्टी धंसकी है, जिसे लगातार दुरुस्त कराया जा रहा है। कुछ स्थानों पर ऊसर की मिट्टी होने के कारण घास नहीं जम सकी है और ऐसे स्थानों पर ही ज्यादा समस्या आई है।