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तीन सौ टंकियां से निकलेगी मीठे जल की धार

जलेसर के दर्जनों गांवों में है खारे पानी की समस्या दो दर्जन टीटीएसपी टैंक तैयार शेष का निर्माण जारी

By JagranEdited By: Published: Wed, 19 Feb 2020 11:41 PM (IST)Updated: Thu, 20 Feb 2020 06:06 AM (IST)
तीन सौ टंकियां से निकलेगी मीठे जल की धार
तीन सौ टंकियां से निकलेगी मीठे जल की धार

एटा, जासं। जलेसर क्षेत्र में आने वाले समय में खारे पानी की समस्या से लोगों को काफी राहत मिलेगी।

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डेढ़ साल से पहले स्वीकृत टैंक टाइप स्टैंड पोस्ट (टीटीएसपी) योजना पर अब अमल होना शुरू हो गया है। इसके तहत 300 पानी की टंकियां बनाई जानी हैं। फिलहाल दो दर्जन से अधिक टंकियां बन चुकी हैं। कई अन्य गांवों में निर्माण कार्य चल रहा है। अगर यह योजना सफल होती है तो कम से कम क्षेत्र के सौ गांवों तथा अन्य मजरों के लोगों को मीठा पानी उपलब्ध हो सकेगा।

वर्ष 2018 में 25 करोड़ की लागत से 300 टीटीएसपी टैंक बनाए जाने की घोषणा की गई थी। यह महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट घोषणा के बाद डेढ़ साल तक यूं ही पड़ा रहा। चार माह पूर्व इस योजना पर अमल शुरू हुआ है। टेंडर प्रक्रिया के बाद निर्माण शुरू कर दिया गया। कार्यदायी संस्था जलनिगम को शासन का निर्देश है कि सभी टैंक वर्ष 2020 में ही बनाकर चालू कर दिए जाएं। योजना के तहत 100 गांवों-मजरोंमें तीन-तीन टीटीएसपी लगाए जाएंगे। इससे क्षेत्र के लोगों को खारे पानी की समस्या से निजात मिल सकेगी। प्रति टैंक की लागत करीब 08.42 लाख रुपये आएगी। इन गांवों में है खारा पानी:

वारा समसपुर, भूपालगढ़ी, भानमई, सिमराऊ, मोहनपुर, बसई, गिलोला, लोधीपुर, बरहन, नगला मंदा, पवरा, नगला मीरा, कुंजलपुर, सोना, राजमलपुर, पहाउमलपुर,अमृतपुर, किसर्रा, गोविदगढ़ी, मई, नगलावीरी, नगला औझा, शाहनगर, टिमरुआ, नगला अन्नी, टिपरिमा, शकरौली, नगला वख्त, ग्वालियर, नगला सुखदेव, ब्रजपुर, बालगढ़ी, धर्मपुर, करधिनी, काजीपुर, बदनपुर, कौसमा, कासिमपुर, तखावन, आनंदीगढ़ी, नगला दया आदि शामिल है। दूषित जलस्त्रोत वाले क्षेत्र का कोई इलाज नहीं:

जलेसर में कई क्षेत्र के जलस्त्रोत दूषित हो चुके हैं। ऐसे में कई जगह ऐसे जलस्त्रोत परेशान कर सकते हैं। हालांकि कार्यदायी संस्था जलनिगम के अधिशासी अभियंता एएस भाटी ने बताया कि जो गांव टैंक बनाने के लिए चयनित किए गए वहां मीठे पानी की संभावनाएं पहले ही तलाश ली गई हैं। अन्य स्थानों की अपेक्षा चयनित गांवों में पानी कम खारा है। इसलिए लोगों को ज्यादा परेशानी नहीं होगी। जो जलस्त्रोत पूरी तरह से दूषित हैं उन्हें दुरुस्त करने के लिए बड़े प्रोजेक्ट की आवश्यकता है। हैंडपंपों से निकल रहे कीड़े:

जलेसर क्षेत्र में जिन गांवों में खारा पानी अधिक है, वहां के हैंडपंपों से कीड़े निकलते हैं। अगर लोगों को यह पता चल जाता है कि दूरदराज के नल में मीठा पानी है तो वहां सुबह से ही पानी के लिए लोगों की कतार लग जाती है। कभी-कभी तो झगड़े की नौबत आ जाती है। क्षेत्र का सकरौली गांव काफी बड़ा है। इस गांव के हर हैंडपंप से दूषित पानी निकलता है। बीमारियों से ग्रसित हैं लोग:

जलेसर क्षेत्र के तमाम ऐसे गांव जहां खारे पानी की समस्या है, वहां के लोग बीमारियों से भी ग्रसित हैं। पेट, त्वचा संबंधी अधिक बीमारी है। पशु भी इस तलाश में रहते हैं कि उन्हें भी कहीं अच्छा पानी मिले। टीटीएसपी योजना से कुछ हद तक लाभ मिलने की उम्मीद है।


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