ई-रिक्शा और ऑटो में ओवरलोड बच्चे
ऑटो-ई-रिक्शा में बच्चों का सफर जोखिम भरा है। इन वाहनों में बच्
एटा, जागरण संवाददाता : ऑटो-ई-रिक्शा में बच्चों का सफर जोखिम भरा है। इन वाहनों में बच्चे ठूंस-ठूंस कर भरे जा रहे हैं। आपके लाड़ले जो पढ़ने जा रहे हैं चंद दूरी का उनका सफर सुरक्षित नहीं है। अभिभावक एवं स्कूलों का प्रबंधतंत्र लापरवाह है और पुलिस अंजान बनी रहती है। लिहाजा जान खतरे में डालकर यह सफर खूब चल रहा है। कई हादसे भी हो चुके हैं, लेकिन इनसे कोई सबक नहीं लेता। इन दिनों यातायात माह चल रहा है, मगर इन वाहनों की ओर देखने वाला कोई नहीं।
शुक्रवार को भी ओवरलोडिग का नजारा शहर के सभी स्कूलों के रास्ते में देखा गया। ऑटो या फिर ई-रिक्शा सभी में बच्चे ठूंस के भरे थे। बच्चों के सुरक्षित सफर की चिता न तो अभिभावकों को है और न ही प्रशासन व स्कूलों को। ऑटो की पिछली सीट पर एक-दूसरे के ऊपर बैठे बच्चे दिखाई दिए। साथ ही आगे चालक के पास भी चार बच्चे बैठे थे। यह स्थिति हर रोज की है। जो सड़कों पर बड़ी ही आसानी से देखने को मिल जाती है। टूटी सड़कों पर ज्यादा जोखिम शहर में ऑटो-ई-रिक्शा स्कूली बच्चों को लेकर जब टूटी सड़कों से होकर गुजरते हैं तो उनके पलटने का डर बना रहता है। एक ई-रिक्शा तीन माह पूर्व आगरा रोड पर पलट गया था, जिसमें कई स्कूली बच्चों के चोट आई थीं। गनीमत यह रही कि कोई गंभीर रूप से घायल नहीं हुआ। यह ई-रिक्शा ओवरलोड था। शहर में ठंडी सड़क, पीपल अड्डा, गांधी मार्केट जैसी प्रमुख सड़कों पर गड्ढे हैं। सीवर लाइन के कारण भी सड़कें ऊबड़-खाबड़ हो गईं हैं। रेलवे रोड पर बुरा हाल है। ऐसे में खतरा और ज्यादा बढ़ जाता है। टीमें नहीं रोक पाई ओवरलोडिग पूर्व में स्कूली बसों में सुरक्षा मानकों को सुनिश्चित करने के लिए एआरटीओ के नेतृत्व में चार जांच दलों का गठन किया था कि जो स्कूलों के पास वाहनों की जांच करेंगे। जांच से पहले बच्चों को लाते हुए स्कूली वाहन की वीडियोग्राफी भी कराई गई। ओवरलोडिग पर प्रति सवारी एक हजार से पांच हजार रुपये तक जुर्माना लगाने के बारे में प्रचारित किया, लेकिन यह अभियान खानापूर्ति तक सीमित रहा।