Move to Jagran APP

खत्म हुआ मेहमानों का मेला, अब आयी रुखसत की बेला

दो माह पूर्व विदेशी मेहमान पक्षियों के कलरव से गुलजार हुए पटना पक्षी बिहार में एक बार फिर वहीं खामोशी छाने लगी है। मौसम में बढ़ते ताप के साथ ही दुनियाभर से यहां आये विदेशी पक्षी अखंड विश्व एकता व प्रेम का संदेश देकर अब यहां से रुखसत होने लगे हैं।

By JagranEdited By: Published: Thu, 07 Mar 2019 12:18 AM (IST)Updated: Thu, 07 Mar 2019 12:18 AM (IST)
खत्म हुआ मेहमानों का मेला, अब आयी रुखसत की बेला
खत्म हुआ मेहमानों का मेला, अब आयी रुखसत की बेला

जलेसर, जासं। दो माह पूर्व विदेशी मेहमान पक्षियों के कलरव से गुलजार हुए पटना पक्षी विहार में एक बार फिर वहीं खामोशी छाने लगी है। मौसम में बढ़ते ताप के साथ ही दुनियाभर से यहां आये विदेशी पक्षी अखंड विश्व, एकता व प्रेम का संदेश देकर अब यहां से रुखसत होने लगे हैं।

loksabha election banner

पक्षी नदियां पवन के झोंके, कोई सरहद न इन्हें रोके। जी हां सरहदें तो सिर्फ इंसानों के लिए ही बनी हैं, सरहदें ही नहीं जाति, धर्म, रंग, द्वेष भी। पक्षी तो हजारों मील दूर उड़कर सिर्फ प्रेम का संदेश देने आते हैं, हर साल हजारों की संख्या में कि शायद उन बेजुबानों के संदेश को कोई समझेगा और वापस चले जाते हैं। पटना पक्षी विहार में दो माह तक रंग-बिरंगे सौंदर्य से सजाने तथा मधुर कलरव से गुंजाने वाले पक्षियों की यहां से वापसी शुरू हो गई है। नवंबर माह में गुलाबी सर्दी के साथ ही चीन, नेपाल, भूटान, तिब्बत, आस्ट्रिया, आस्ट्रेलिया, सायबेरिया तथा खाड़ी देशों से हजारों की संख्या में पक्षी यहां आने शुरू हुए थे।

मौसम अनुकूल रहने तक मेहमान पक्षी यहां रुकते हैं तथा ताप बढ़ने के साथ ही फरवरी के अंत तक एक बार फिर से विदाई की बेला आ गई है। इस वर्ष देशी पक्षियों के अलावा लगभग 50 हजार की संख्या में विभिन्न विदेश पक्षी भी पटना पक्षी बिहार पहुंचे थे। हजारों की संख्या में पहुंचे सैलानियों ने दुर्गम पक्षियां को पक्षी विहार पहुंचकर निहारा। अब धीरे-धीरे पक्षियों की संख्या काफी कम रह गई है। पक्षी विहार प्रशासन की मानें तो अब मात्र 20 फीसद ही विदेशी पक्षी पक्षी विहार में बचे हैं। बीते सप्ताह से ही इन विदेशी मेहमानों की वापसी शुरू हो गई थी। ये आए थे विदेशी मेहमान

------

पटना पक्षी विहार में इस साल किगफिशर की कई प्रजातियों व सारस के साथ ही सोवलर, पिटेल, कॉमन टील, कॉटन टील, विसलिग टील, ग्रेलेग गूज, रेड क्रिस्टेड पोचार्ड, कॉमन पोचार्ड, कॉम डक, स्कॉट बिल, कूट, ब्रह्मनी डक, आइविश, ब्लैक आई विश, पैंटेड स्टोर्क, ब्लैक नैक स्टोर्क, व्हाइट नैक स्टोर्क, पर्पल मोर हैन, जयकान, डबचिक, कार्माेरेंट, स्नेक वर्ड, कॉमन मोर हैन, बार हैडेड गूज व नीलसर के साथ ही स्थानीय देशी चिड़ियों की अन्य प्रजातियों ने यहां के सौंदर्य को बढ़ाया।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.