प्रेमिका के साथ रंगेहाथ पकड़ा गया था शूटर
थाना बागवाला क्षेत्र के गांव जीसुखपुर में बरात के दौरन हुई कक्षा 11 के छात्र की हत्या अवैध संबंधों के चलते कर दी गई। यह संबंध न छात्र के थे और न ही उसके दोस्त के। हत्या के मुख्य आरोपित के अवैध संबंध छात्र के दोस्त की मां से थे और वह हाल ही में रंगेहाथ पकड़ा भी गया था। इस पर छात्र के दोस्त ने अपनी मां की पिटाई कर दी जिसको लेकर मुख्य आरोपित छात्र पर आरोप लगा रहा था कि उसके उकसाने पर उसकी प्रेमिका की पिटाई की गई।
आगरा, जागरण संवाददाता। सरकारी अस्पताल के इलाज को सस्ता करने के लिए खोले गए जन औषधि केंद्र 'बीमार' हैं। इन केंद्रों से सभी दवाएं नहीं मिल रहीं। ऐसे में मरीज सस्ती दवा लेने में घनचक्कर बन रहे हैं।
जिले में 16 जन औषधि केंद्र हैं। इसमें से तीन जन औषधि केंद्र जिला अस्पताल, लेडी लॉयल महिला चिकित्सालय और मानसिक स्वास्थ्य संस्थान में ब्रेन पावर एजेंसी द्वारा चलाए जा रहे हैं। यहां मरीजों को कुछ दवाएं अस्पताल से निश्शुल्क मिल जाती हैं। पर्चे पर लिखी गई बाजार की सभी दवाएं जन औषधि केंद्र पर नहीं मिल रही हैं, ऐसे में मरीजों को दवाएं लेने के लिए इधर से उधर घूमना पड़ रहा है। नहीं लिख रहे जैनेरिक नाम
सरकारी अस्पताल में मरीजों के पर्चे पर बाजार की दवाओं के लिए जैनेरिक नाम नहीं लिखा जा रहा है। इन अस्पतालों से लिखी जा रही दवाएं भी मॉनोपॉली कंपनी की हैं, ये दवाएं अस्पताल के बाहर के मेडिकल स्टोर पर ही मिल रही हैं। वह भी महंगी हैं, इससे मरीज परेशान हो रहे हैं।
ये है हाल
मानसिक स्वास्थ्य संस्थान जन औषधि केंद्र - दवाओं की उपलब्धता 230 से 290 हर महीने दो लाख की दवाओं की बिक्री
जिला अस्पताल जन औषधि केंद्र- दवाओं की उपलब्धता - 260, हर महीने 1.80 से दो लाख की बिक्री
लेडी लॉयल महिला चिकित्सालय जन औषधि केंद्र - 220 दवाओं की उपलब्धता, हर महीने 50 हजार की दवाओं की बिक्री
जन औषधि केंद्र से दो ही दवाएं मिली हैं। अन्य दवाएं मेडिकल स्टोर से खरीदनी पड़ रही है।
शिवानी, हलवाई की बगीची एक दवा हॉस्पिटल से मिली, जन औषधि केंद्र से भी एक ही दवा मिली है, तीसरी दवा मेडिकल स्टोर से खरीदनी पड़ी है।
रंजीत सिंह, हाथरस जिला अस्पताल में भी दवा नहीं मिली, जन औषधि केंद्र पर भी मना कर दिया है कि यहां दवा उपलब्ध नहीं है।
मेनका, राजा की मंडी महंगी दवाएं जन औषधि केंद्र पर नहीं मिलती हैं, ये दवाएं बाजार से खरीदनी पड़ रहीं हैं।
शरीफन, बोदला अधिकांश पर्चो पर दवाओं का ब्रांड नाम लिखा होता है, इससे परेशानी हो रही है, जितने ऑर्डर दिए जा रहे हैं, उस हिसाब से दवाओं की आपूर्ति नहीं हो रही है।
रविंद्र सिंह, एमडी ब्रेन पावर सरकारी अस्पताल में दवाओं के जैनेरिक नाम लिखने के निर्देश दिए गए हैं, इसकी जांच कराई जाएगी। जो दवाएं अस्पताल में उपलब्ध नहीं हैं, वे ही दवाएं बाहर से लेने के लिए लिख सकते हैं।
डॉ. मुकेश वत्स, सीएमओ