सौ साल पहले तहखाने में रखी गईं थीं प्रतिमा
अजितनाथ जिनालय में बुधवार को खुदाई के समय निकलीं प्राचीन जैन प्रतिमा सौ साल पहले तहखाने में रखी हुई थीं, जो अब वहौं निकल रही है।
जागरण संवाददाता, जलेसर (एटा): अजितनाथ जिनालय में बुधवार को खुदाई के समय निकलीं प्राचीन प्रतिमाएं व स्वर्ण कलश को देखने वालों की कतार लगी रही। प्रतिमाएं भले ही प्राचीन हैं, मगर इन्हें 100 साल पहले खंडित अवस्था में वेदी के नीचे तहखाने में रखा गया था। इसके बाद अब प्रतिमाओं का पूरा इतिहास सामने आ गया।
मुहल्ला शेरगंज स्थित अजितनाथ दिगम्बर जैन मंदिर में वेदी जीर्णोद्धार का कार्य बुधवार को शुरू हुआ था। जब मजदूरों ने वेदी को तोड़ा तो खोखली बनी हुई वेदी के नीचे बने चार फीट के पक्के तहखाने में जैन तीर्थंकर की प्राचीन प्रतिमा के साथ ही भगवान पारसनाथ की छह इंच की पीतल की प्रतिमा, पीतल का एक कलश, चम्मच व दो दीपक भी निकले। कुछ ही देर में नगर में मंदिर में खुदाई के दौरान प्राचीन प्रतिमा तथा स्वर्ण कलश निकलने की खबर फैल गई। सैंकड़ों लोग मंदिर में पहुंच गए।
दिगंबर जैन समाज के मंत्री राजा जैन ने बताया कि लगभग सौ पूर्व वेदी निर्माण के समय खंडित हुईं प्रतिमा को वेदी के नीचे चार फीट का पक्का तहखाना बनाकर उसमें रखा गया था। साथ में जल का कलश, चम्मच में प्रसादी तथा दीपक जलाकर रखा गया था।
लेपन का प्रावधान
प्रतिमा निकलने की सूचना पर गुरुवार को जलेसर पहुंचे क्षुल्लक समर्पण सागर महाराज ने बताया कि जैन तीर्थकर की प्राचीन प्रतिमा खंडित हैं। जिसको लेकर जानकारों से पूछा गया है। खंडित प्रतिमा को बज्र लेपन विधान के बाद पुन: स्थापना का भी प्रावधान है। यदि ऐसा नहीं होता तो इसे संरक्षित किया जायेगा। उन्होंने बताया कि मुगलकाल में लूट से बचने को वेदियों के नीचे तहखाने बनाए जाते थे, जिससे लगता है कि प्रतिमा मुगलकालीन भी हो सकती हैं।