पटना पक्षी विहार की झील को नहीं मिल रहा पानी
एटा जासं। जिले में पटना पक्षी विहार एक रमणीक पर्यटन स्थल है। यहां की झील बेहद मनोहारी है लेकिन वह तब ही आकर्षक दिखती है जब उसमें पानी हो। साल में सिर्फ वर्षा के दिनों में ही यह झील आबाद रहती है हालांकि उसका थोड़ा पानी सर्दियों में भी दिखाई देता है मगर इसके बाद वह सूखी पड़ी रहती है। यह झील इतनी बड़ी है कि अगर वर्षभर इसमें पानी रहे तो पक्षी विहार के आसपास के तमाम गांवों का जलस्तर बढ़ सकता है लेकिन झील में पानी पहुंचाने के लिए कोई व्यवस्था नहीं है। इस समय भी यह झील सूखी है।
एटा, जासं। जिले में पटना पक्षी विहार एक रमणीक पर्यटन स्थल है। यहां की झील बेहद मनोहारी है, लेकिन वह तब ही आकर्षक दिखती है, जब उसमें पानी हो। साल में सिर्फ वर्षा के दिनों में ही यह झील आबाद रहती है, हालांकि उसका थोड़ा पानी सर्दियों में भी दिखाई देता है, मगर इसके बाद वह सूखी पड़ी रहती है। यह झील इतनी बड़ी है कि अगर वर्षभर इसमें पानी रहे तो पक्षी विहार के आसपास के तमाम गांवों का जलस्तर बढ़ सकता है, लेकिन झील में पानी पहुंचाने के लिए कोई व्यवस्था नहीं है। इस समय भी यह झील सूखी है।
पटना पक्षी विहार की झील में सर्दियों के दिनों में लाखों पक्षी विचरण करते हैं। इसके इर्द-गिर्द स्थित खजूर के पेड़ इस झील को और ज्यादा आकर्षक बना देते हैं, लेकिन कुछ दिनों तक ही यह सब दिखता है और फिर झील बंजर जमीन सी दिखाई देने लगती है। दरअसल एक दशक पूर्व इस झील में दो रजवाहों से पानी छोड़े जाने की व्यवस्था की गई थी, मगर नालियां बनने के बावजूद भी पानी एक दिन भी नहीं छोड़ा गया। यह रजवाहे नहरों से संबद्ध हैं। इसके अलावा दो ट्यूबवेल भी स्थापित कराए गए। इनमें एक ट्यबवेल छोटा है और दूसरा बड़ा, छोटे ट्यवबैल का उपयोग दैनिक कार्यो के लिए किया जाता है। बड़ा ट्यवबैल इसलिए बनवाया गया कि उससे झील को पानी दिया जा सके, लेकिन जलेसर क्षेत्र में भू-गर्भ जलस्तर काफी नीचे गिर चुका है, इसलिए जल नियंत्रण प्रणाली के चलते ट्यवबैल का पानी झील को देने पर रोक लगा दी गई। इसके पीछे तर्क यह दिया गया कि अगर ट्यवबैल के पानी से झील भरी जाएगी तो जलस्तर क्षेत्र में और ज्यादा गिर जाएगा। ऐसे में यह झील आज भी दुविधा में है कि इसे पानी कहां से मिले। हालांकि पानी दिए जाने के विकल्प हैं, मगर उन पर प्रशासन ने कभी गौर नहीं किया। यही वजह है कि यह झील आज भी सूखी पड़ी है और इस इंतजार में है कि पर्याप्त वर्षा हो जिससे वह आबाद हो सके।