यातायात नियमों का उल्लंघन हादसों की बड़ी वजह
सड़कों पर बेतरतीब वाहन चलाना गलत दिशा में मोड़ देना पुलिस के रो
एटा, जागरण संवाददाता: सड़कों पर बेतरतीब वाहन चलाना, गलत दिशा में मोड़ देना, पुलिस के रोकने के बावजूद फर्राटा भरना, भीड़भाड़ वाले इलाके में लहराकर दुपहिया वाहन चलाना, सीट बैल्ट न बांधना, हेलमेट न लगाना आदि तमाम कारण हादसों की वजह हैं। जागरूकता अभियान चलाए जाते हैं, लेकिन लोग पूरी तरह जागरूक नहीं हो पाते। यहां तक कि वाहन चालक संकेतक की भाषा नहीं समझते। ऐसे में दुर्घटनाएं बढ़ जाती हैं।
सड़कों पर सबसे ज्यादा नियमों का उल्लंघन युवा करते हैं। सड़कों पर फर्राटा भरने के लिए जगह नहीं है, फिर भी वे रफ्तार से दुपहिया वाहन दौड़ाते हैं। फिर उन्हें परवाह नहीं रहती कि वे वाहन गलत दिशा में मोड़ रहे हैं या सही दिशा में। इसी वर्ष 26 फरवरी को सिर्फ गलत दिशा में वाहन मोड़ने के कारण शांतिनगर निवासी एक युवक की बाइक ट्रक में जा घुसी, उसकी मौके पर ही मौत हो गई। जबकि उसका साथी गंभीर रूप से घायल हो गया, जिसका महीनों तक इलाज चला। उसकी गलती यह थी कि वह गलत दिशा में फर्राटा भर रहा था। इसी तरह का एक हादसा हाथी गेट चौराहे पर हुआ, जहां पुलिस के रोकने के बावजूद बाइक सवार ने महिला को टक्कर मार दी। यह महिला गंभीर रूप से जख्मी हुई और फिर उसका 15 दिन तक इलाज चला, मगर बाद में दम तोड़ दिया। सीट बैल्ट बांधने से परहेज
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पुलिस बार-बार आगाह करती है कि सीट बैल्ट जरूर बांधें, मगर एटा शहर में तो मानो इसका चलन ही नहीं है। क्योंकि यहां वाहन चालक तक सीट बैल्ट बांधने की कोशिश नहीं करते। जब कोई अभियान चलता है, तब पुलिस ऐसे वाहन चालकों को टोकती है। उनका चालान भी करती है, मगर फिर भी यह लोग लापरवाह बने रहते हैं। कासगंज-मिरहची रोड पर 28 सितंबर को कार और ट्रक में भिड़ंत हुई, जिसमें कार चालक की जान चली गई, वह सीट बैल्ट नहीं बांधे था। नशे में वाहन चलाने का शगल नशे में वाहन चलाना लोगों की फितरत है। हालांकि पुलिस समय-समय पर जुर्माना करती है। इस वर्ष पुलिस ने 105 लोगों पर नशे के आरोप में जुर्माना किया, लेकिन यह प्रवृत्ति फिर भी कम नहीं हो रही, जबकि इसका खामियाजा बड़े हादसों के रूप में उठाना पड़ता है। 15 जून को ओवरब्रिज पर एक ट्रक पलटा था, जिसका चालक नशे में था। वह घायल हुआ और उसे अस्पताल में भर्ती कराया गया, तब पता चल सका कि वह नशे में था। संकेतकों की भाषा नहीं जानते
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विभिन्न अभियानों के अंतर्गत पुलिस संकेतकों की भाषा का पाठ छात्र-छात्राओं को पढ़ाती है, लेकिन जो अन्य लोग हैं, उनमें से अधिकांश को तो संकेतकों की पहचान तक नहीं है। सड़क किनारे अगर कोई बोर्ड लगा है तो उस पर कौन सा चिन्ह बना है इस बारे में उन्हें पता भी नहीं है। अभिभावक भी जिम्मेदार
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हादसे हो जाते हैं और बच्चों की जान चली जाती है। पुलिस का मानना है कि इसके लिए बच्चों के अभिभावक भी कम जिम्मेदार नहीं हैं। टीनएज पर अंकुश लगाना चाहिए। यातायात पुलिस द्वारा की गई कार्रवाई
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इस वर्ष किए गए कुल चालान - 14087
वसूला गया जुर्माना - 5 करोड़ रुपये
सीज किए गए वाहन - 365
ट्रिपल राइडिग वालों के चालान - 1912
बिना हेलमेट के चालान - 7000