गंगा में समाने लगी कटानरोधी कार्य की बोरियां
आबादी को बचाने के लिए रामगढ़ ढ़ाला से दक्षिण तीन करोड़ 70 लाख की लागत से हुए कटानरोधी कार्य को ही गंगा अपने पेटे में लेने लगी है। इससे तटवर्ती लोग भयभीत हैं। बनियाटोला व सुनार टोला के अवशेष बस्ती को बचाने के लिए यहां कटानरोधी कार्य कराया गया है। लंबी दूरी में कटानरोधी कार्य में दरार पड़ने के कारण काफी बड़ी आबादी संकट में पड़ गई है।
जागरण संवाददाता, बैरिया (बलिया) : आबादी को बचाने के लिए रामगढ़ ढाला से दक्षिण तीन करोड़ 70 लाख की लागत से हुए कटानरोधी कार्य को ही गंगा अपने पेटे में लेने लगी है। इससे तटवर्ती लोग भयभीत हैं। बनियाटोला व सुनार टोला के अवशेष बस्ती को बचाने के लिए यहां कटानरोधी कार्य कराया गया है। लंबी दूरी में कटानरोधी कार्य में दरार पड़ने के कारण काफी बड़ी आबादी संकट में पड़ गई है।
कटानरोधी कार्य के ध्वस्त होने के बाद नदी आबादी को बड़ा नुकसान पहुंचा सकती है। उधर पानी बढ़ने के कारण मौके से ठेकेदार व संबंधित विभाग के अधिकारी बचाव कार्य बंद कर गायब हो गए हैं। तटवर्ती लोगों का कहना है कि कटानरोधी कार्य में निर्धारित मानक का विभाग या संबंधित ठेकेदारों ने ध्यान नहीं रखा। शिकायत के बाद भी मनमाना कार्य कराते रहे। गंगा नदी के उफान पर आते ही कराए गए कार्याें की पोल खुलने लगी है।
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तीन तरफ से घिरी राजभर बस्ती
बिल्थरारोड (बलिया) : सरयू की लहरें अब तबाही मचाने को तैयार हैं। महज 24 घंटे में नदी के जलस्तर में 26 सेंटीमीटर की रिकार्ड बढ़ोतरी दर्ज की गई है। शनिवार की दोपहर नदी का जलस्तर बिल्थरारोड तुर्तीपार हेड पर खतरा निशान से 50 सेंटीमीटर ऊपर तक पहुंच गई। तुर्तीपार जल आयोग के अधिकारियों के अनुसार नदी का जलस्तर सुबह 64.510 मी. दर्ज किया गया। तुर्तीपार के काली चौरा से लेकर साहनी, मल्लाह बस्ती, यादव मुहल्ला व राजभर बस्ती तीन तरफ से घिर गई है। राजभर बस्ती को जोड़ने वाली पुलिया पहले ही नदी में समा चुकी है। बस्ती के लोगों के आवागमन के लिए कोई सान नहीं है, इसके बावजूद जिला प्रशासन सुस्त पड़ा है। इस बीच तबाही मचाने को आतुर नदियों के हालात को देखते हुए तटवर्ती इलाकों के लोगों ने सुरक्षित ठौर की तलाश शुरू कर दी है।