एक क्लिक पर मिलेगा रजिस्ट्री का रिकॉर्ड
जागरण संवाददाता, एटा: डिजिटल इंडिया की दौड़ में निबंधन विभाग भी बहुत बड़ा बदलाव कर रहा
जागरण संवाददाता, एटा: डिजिटल इंडिया की दौड़ में निबंधन विभाग भी बहुत बड़ा बदलाव कर रहा है। वर्ष 1990 से अभी तक हुई सारी रजिस्ट्री के रिकार्ड डिजिटाइज्ड किए जाएंगे। इसके बाद रिकार्ड को विभागीय वेबसाइट पर अपलोड कर दिया जाएगा। इसके दोहरे फायदे होंगे। पुराने रिकार्ड सुरक्षित हो जाएंगे। वहीं कोई भी जरूरत होने पर लोगों को रिकार्ड रूम की फाइलें नहीं खंगालनी पड़ेंगी। कंप्यूटर में एक क्लिक पर रजिस्ट्री का ब्योरा हासिल किया जा सकेगा।
सदर उप निबंधक कार्यालय का कंप्यूटरीकरण सबसे पहले वर्ष 2006 में हो गया था। जबकि अन्य दोनों तहसील स्तर कार्यालय पिछले वर्ष ही कंप्यूटरीकृत हुए हैं। जहां रजिस्ट्री के अभिलेख अब डिजिटाइज्ड हैं। लेकिन इससे पहले इन कार्यालयों में पूरा रिकार्ड मैनुअल रहता था। कागजों पर लिखे बैनामे आदि इसी तरह फाइलों में बंद कर रिकार्ड रूम में रख दिए जाते थे। अभिलेखागार में इनकी बड़ी-बड़ी जिल्दें रखी हुई हैं। काफी पुराना रिकार्ड तो कागजों की स्थिति खराब होने से अस्पष्ट तक हो जाता है। जबकि किसी विवादित मामले में नकल, मुआयना और तलाश के लिए इस रिकार्ड से ही सामना होता है। इस स्थिति में असहजता उठानी पड़ती है। वहीं बार-बार रजिस्ट्री दफ्तर के चक्कर भी काटने पड़ते हैं।
इन सभी समस्याओं के निदान के रूप में शासन ने आनलाइन व्यवस्था की पहल की है। इसके तहत वर्ष 1990 से अब तक की सारी रजिस्ट्री का रिकार्ड आनलाइन किया जाएगा। पुराने कागजी रिकार्ड को स्कैन कर डिजिटाइज्ड किया जाएगा। बाद में इस पुराने और वर्तमान में चल रहे कंप्यूटराइज्ड रिकार्ड को निबंधन विभाग की वेबसाइट पर अपलोड किया जाएगा। विभाग के लिहाज से पुराने अभिलेख की सुरक्षा के मद्देनजर यह कार्य महत्वपूर्ण होगा। कंप्यूटराइज्ड और आनलाइन होने के बाद उसकी सुरक्षा को लेकर विभाग की ¨चता खत्म हो जाएंगी। वहीं, आमजन के लिए बड़ा फायदा यह होगा कि नकल, मुआयना और तलाश के लिए रजिस्ट्री कार्यालय की दौड़ नहीं लगानी पड़ेगी। घर बैठकर या किसी भी साइबर कैफे से कोई भी व्यक्ति कंप्यूटर के जरिए रजिस्ट्री का रिकार्ड देख सकेगा। साथ ही संबंधित रिकार्ड का ¨प्रट भी निकाला जा सकेगा।
53 लाख का हुआ भुगतान
प्रदेश स्तर से इस कार्य के लिए टेंडर हुए हैं। निक्सी कंपनी को एटा का काम दिया गया है। इसके लिए विभाग ने 53 लाख रुपये अदा किए हैं। कंपनी के विशेषज्ञ यहां आकर रिकार्ड तथा काम करने के लिए स्थान आदि का जायजा ले चुके हैं। एआइजी न्यायालय को इस कार्य के लिए कंप्यूटर लैब बनाया जाना प्रस्तावित है।
अधिकारी की बात
कागज के पुराने अभिलेखों को सुरक्षित रखना बड़ी चुनौती और ¨चता की बात थी। डिजिटाइजेशन होने से रिकार्ड सुरक्षित रहेगा। साथ ही आनलाइन होने से लोगों को भी सुविधा मिलेगी। काम लंबा है, जिसमें कुछ महीनों तक का समय लग सकता है।
- दिनेश कुमार, सहायक महानिरीक्षक निबंधन