पांच सौ हेक्टेयर कम हुआ आलू का रकबा
बोआई के समय आलू की कीमत में गिरावट बना बड़ा कारण बीज सस्ता होने पर भी नहीं दिखाई रुचि
जासं, एटा: पिछले साल की अपेक्षा इस बार आलू की खेती का रकबा कम हुआ है। क्षेत्रफल कम होने के साथ ही आलू की फसल तैयार करने वाले किसानों की गिनती भी कम हुई है। ऐसे में कोल्ड स्टोर में जमा होने वाले आलू की मात्रा में भी गिरावट होने के आसार हैं।
महंगाई होने के बाद भी गत वर्ष किसानों ने आलू की खेती करने में अच्छी रुचि दिखाई थी। जिले में पिछले साल 8003 हेक्टेयर जमीन पर आलू की फसल तैयार की थी, मगर इस बार बीज सस्ता होने के बाद भी किसानों ने आलू की खेती से कुछ हद तक मुंह मोड़ा है। इस बार 7503 हेक्टेयर जमीन पर आलू तैयार किया है। विगत वर्ष से 500 हेक्टेयर कम है। किसानों की संख्या केवल 1235 रह गई है, जबकि पिछले साल इनकी संख्या में 1403 थी। किसानों का कहना है कि जिस समय बोआई का समय शुरू हुआ था। उस वक्त अचानक आलू की कीमत में गिरावट हो गई। ऐसे में किसानों ने भविष्य में भी आलू की कीमत कम रहने की आशंका लेकर ज्यादा फसल तैयार नहीं की। उद्यान निरीक्षक रवीन्द्र कुमार ने बताया कि आलू की कीमत अचानक गिरने से किसानों ने खेती कम की है। पिछले साल 80 फीसद आलू कोल्ड स्टोर में सुरक्षित किया गया था।
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भंडारण में हो सकती है कमी:
फसल उत्पादन के कम हुए रकबा को लेकर भविष्य में आलू भंडारण कम होने के आसार हैं। पिछले साल जिले के 18 कोल्ड स्टोर में 1,05,648 मीट्रिक टन आलू का भंडारण हुआ था, जबकि कोल्ड स्टोरों की 1,61,118 एमटी आलू भंडारण की क्षमता है। पिछले साल 80 फीसद आलू का भंडारण हुआ था, मगर इस बार रकबा कम होने से भंडारण मात्रा भी प्रभावित हो सकती है।