हरियाली से कम होगा प्रदूषण का ताप
ऊर्जा परियोजनाएं विकास के साथ ही प्रदूषण भी लाती हैं। ऐसे में इनसे जितनी हरियाली होगी, उतना ही प्रदूषण का ताप खत्म होगा।
जागरण संवाददाता, एटा: ऊर्जा परियोजनाएं विकास के साथ ही प्रदूषण भी लाती हैं। ऐसे में इनसे जितना लाभ होता है, उससे कहीं ज्यादा इंसानों एवं अन्य जीवों को नुकसान होता है। इसलिए एटा में निर्माणाधीन जवाहरपुर तापीय परियोजना को मंजूरी देने से पहले एनजीटी ने ग्रीन बेल्ट की शर्त लगा दी थी। इसके लिए जमीन चिह्नित कर इसी वर्ष पौधे रोपने की योजना है। ताकि तापीय परियोजना शुरू होने तक क्षेत्र में ग्रीन बेल्ट का विकास हो जाए।
नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) की टीम कई बार परियोजना स्थल का दौरा कर चुकी है। साथ ही देख चुकी है कि अनुमति के समय लगाई गई शर्तो के अनुसार कार्य हो रहा है या नहीं। ग्रीन बेल्ट के निर्माण के लिए पहले चरण में 35 सौ से अधिक पौधे रोपे जाएंगे। इसके बाद आवश्यकता के अनुसार पौधे बढ़ाए जाएंगे। ग्रीन बेल्ट बनाने, देखरेख, प्रबंधन, इंटरलॉ¨कग व अन्य मदों पर करोड़ों रुपये खर्च किए जाएंगे। परियोजना के लिए चिह्नित भूमि के आसपास मलावन, बबरौती, नसीरपुर, निगोह हसनपुर, अयार, बिर¨सहपुर आदि गांव हैं। इन गांवों में वर्तमान में कोई वन क्षेत्र नहीं है।
परियोजना की चिमनी की ऊंचाई 275 मीटर है। यह अन्य तापीय परियोजना स्थलों से अधिक है। ऐसा इसलिए किया है ताकि प्रदूषण के कण नीचे न रहें और फसलों को नुकसान न हो।
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परियोजना स्थल के आसपास हरित पट्टिका बनाई जाएगी। ताकि प्रदूषण न फैले। गंभीरतापूर्वक इस योजना पर काम किया जा रहा है।
राजेंद्र ¨सह, डीजीएम जवाहरपुर तापीय परियोजना