संशोधित : साहब! पहली बार देखा पुलिस का ऐसा चेहरा
अवागढ़ थाने में बंद युवक की एक माह की मासूम बेटी की थाने के गेट
एटा, जागरण संवाददाता : अवागढ़ थाने में बंद युवक की एक माह की मासूम बेटी की थाने के गेट पर हुई मौत के बाद मां मंगलवार को दिनभर बिलखती रही। इस बच्ची की मां तितली ने फूट-फूटकर रोते हुए बार-बार यही बात कही कि साहब हम तमाम प्रांतों में जाते हैं। वहां अपना सामान बेचते हैं, लेकिन यूपी में एटा की पुलिस ने जैसा सलूक हमारे साथ किया, वैसा पहले कभी नहीं देखा। हम पर चोरी का शक था तो पूछताछ करते, संतुष्ट नहीं होते तो कार्रवाई करते, लेकिन यह कहां का तरीका है कि डेरा पर मौजूद हर शख्स को पीटा गया। मासूम बच्ची को देखकर भी पुलिस नहीं पसीजी।
डेरा पर जाकर पुलिस ने क्या किया इस बारे में भवानी सिंह की पत्नी तितली ने खुलकर बताया। उसने कहा कि पुलिस ने आते ही मारपीट शुरू कर दी। हमारे तंबू फाड़ दिए, जो सामान रखा था उसे तोड़ दिया। जब हमने कारण पूछा तो पुलिस कर्मी बोले कि तुमने चोरी की है, गालियां दीं और भवानी को पकड़ ले गए। वह बोली कि साहब हम बहुत गरीब लोग हैं और घूम-घूमकर कमाते-खाते हैं। अगर हम चोरी ही करते तो कस्बे में इतने खुले रूप में क्यों पड़े होते। पुलिस महिलाओं पर भी डंडे बरसाने से नहीं चूकी। जब हमारी बच्ची की मौत हो गई तो उसके बाद पुलिस ने धमकी दी कि अगर तत्काल यहां से नहीं गए तो सब थाने में बंद कर दिए जाएंगे। हमने जब तहरीर देने की बात कही तो पुलिस और ज्यादा हावी हो गई। साहब हमारी कोई सुनने वाला नहीं इसलिए यहां से जा रहे हैं। इसके बाद डेरा डालकर रह रहे लोग अपनी गाड़ियों में सामान भरकर चले गए। इनके जाने के बाद पुलिस ने भले ही राहत की सांस ली, लेकिन सवाल यह है कि आखिर जिस पुलिस को अच्छा बर्ताव करने का निर्देश हैं, वह इतनी असंवेदनशील क्यों हो जाती है। मानवाधिकार दिवस के दिन वह यह घटना कर बैठी।