पितृ पक्ष: बढ़ रही जागरूकता और बदल रही सोच
पितृ पक्ष है तो नए कार्य नहीं करना या फिर किसी भी तरह की खरीदार
एटा, जागरण संवाददाता: पितृ पक्ष है तो नए कार्य नहीं करना या फिर किसी भी तरह की खरीदारी को वर्जित मानने जैसी रूढि़वादी परंपराएं पुरानी हो चुकी हैं। समय के बदलाव के साथ बढ़ती जागरूकता और बदलती सोच से अब पितृपक्ष में हर साल बाजारों में रौनक और कारोबार बढ़ रहा है।
पितृ पक्ष का हिदू धर्म में विशेष महत्व है। शनिवार से यह पक्ष शुरू हो रहा है। भले ही पूर्वजों के प्रति श्रद्धाभाव का यह पखवाड़ा तमाम पुरानी रूढि़वादी परंपराओं से जुड़ा रहा, लेकिन समय के बदलाव के साथ अब पितृ पक्ष में लोग वह सभी कार्य करना शुरू कर चुके हैं, जोकि कभी वर्जित बताए जाते थे। एक बार फिर पितृ पक्ष शुरू होने के साथ व्यापारी वर्ग इस उम्मीद को संजोए हैं कि इस साल पिछले सालों की अपेक्षा और भी ज्यादा कारोबार होगा। पितृ पक्ष से पूर्व के तीन महीने बारिश के रहते हैं और इस दौरान सहालगों का दौर भी न होने से व्यवसाय घट जाता है। ऐसे में पिछले पांच सालों से लोग पितृ पक्ष में ही खरीदारी से परहेज नहीं करते। इतना जरूर है कि ग्रामीण क्षेत्रों में इसका कुछ असर रहता है, लेकिन शिक्षित और शहरी क्षेत्र में लोग नए कार्यों के साथ-साथ हर तरह की पारिवारिक खरीददारी करने लगे हैं। व्यापारियों की मानें तो पितृ पक्ष में कारोबार पूर्व के दो महीनों से बेहतर होता है। यह बोले कारोबारी
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- पितृ पक्ष में अब रुटीन की दुकानदारी ही नहीं, बल्कि लोग सहालगों की तरह कपड़े खरीदते हैं। सोच में काफी बदलाव आया है। विकास मनोचा
- दस साल से पितृ पक्ष में कारोबार बढ़ रहा हैै। नहीं लगता कि लोग अब पुरानी अवराधारणाओं में ही जी रहे हैं। विकास जैन
- बारिश में सहालग न होने से कारोबार कम हो जाता है, लेकिन इसकी पूर्ति पितृ पक्ष में पिछले कई सालों से हो रही है। प्रदीप गुप्ता
- बाजार में भीड़ हो तो महंगाई बढ़ती है। लोग पितृ पक्ष में सस्ता सामान मिलने की उम्मीद से भी खूब खरीददारी कर रहे हैं। प्रमोद सहानी नए नहीं कोई रोक
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ज्योतिषाचार्य रामबल्लभ भारद्वाज का कहना है कि पितृ पक्ष में नए कार्यों पर कोई रोक नहीं है। पितृदोष तभी उत्पन्न होता है, जब पूर्वजों की उपेक्षा हो। जब पूर्वजों का पूजन होगा तो नए कामकाज की शुरूआत में उनका भी तो आशीर्वाद मिलेगा।