अब खिलेगी मयंक और दीक्षा के चेहरे पर मुस्कान
जन्मजात समस्याओं के साथ मुस्कान से महरूम दो बच्चों के चेहरे पर अब मुस्कान खिल सकेगी। राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम ने इन दोनों बच्चों ही नहीं उनके परिवार को भी बड़ी सौगात दी है। गांव भागपुर के रहने वाले मयंक कटे ओंठ और शीतलपुर की दीक्षा कटे तालू की समस्या से जूझ रही थी।
जागरण संवाददाता, एटा: जन्मजात समस्याओं के साथ मुस्कान से महरूम दो बच्चों के चेहरे पर अब मुस्कान खिल सकेगी। आरबीएसके (राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम) ने इन दोनों बच्चों ही नहीं, उनके परिवार को भी बड़ी सौगात दी है।
गांव भागपुर के रहने वाले मयंक (3) शुरू से ही कटे ओंठ और गांव शीतलपुर की दीक्षा (3) कटे तालू की समस्या से जूझ रही थी। यूं तो अब यह कोई बड़ी परेशानी नहीं है और इलाज आसान है। लेकिन परिवार की आर्थिक स्थिति ऐसी नहीं थी कि बड़े शहरों के निजी अस्पताल में जाकर इलाज करा पाते। पिछले दिनों आरबीएसके की टीम जब संबंधित गांवों के आंगनबाड़ी केंद्र पर पहुंची तो इन दोनों बच्चों को चिन्हित किया गया। टीम के डॉ. रविन्द्र चौहान, डॉ. पंकज और अभिलाख सिंह ने दोनों बच्चों के परिवारीजनों से बात की। बताया कि सामान्य मरीजों की तरह ही आगरा के एक निजी अस्पताल में इलाज कराया जाएगा। जो पूरी तरह मुफ्त होगा। इसके लिए सरकार अस्पताल को पैसा देगी। काफी समझाने के बाद परिवारीजन सहमत हो गए और दोनों बच्चों को 25 मार्च को आगरा ले जाया गया। वहां प्लास्टिक सर्जरी के जरिए दोनों के ओंठ और तालू का उपचार कर दिया गया। गुरुवार को दोनों बच्चे अपने घर पहुंच गए। डॉ. चौहान ने बताया कि इस तरह के और भी बच्चे चिन्हित किए गए हैं। उनका भी इलाज जल्द कराया जाएगा। उन्होंने यह भी बताया कि अभी ग्रामीण क्षेत्रों में लोग कार्यक्रम को समझ नहीं पा रहे हैं। जिसके चलते उन्हें समझाने में मेहनत करनी पड़ रही है।