नकल रोकने को बिना वाहन उड़ रहे उड़नदस्ते
एटा जासं। विश्वविद्यालय परीक्षाओं में नकल रोकने का एक अनोखा मजाक किया गया है। उड़नदस्ते ता
एटा, जासं। विश्वविद्यालय परीक्षाओं में नकल रोकने का एक अनोखा मजाक किया गया है। उड़नदस्ते तो गठित कर दिए हैं, लेकिन उन दस्तों के लिए वाहनों का प्रबंध नहीं है। फलस्वरूप ग्रामीण परीक्षा केंद्रों में खूब नकल चल रही है।
इन दिनों डॉ. भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय ने परीक्षाओं में नकल का खेल शुरू होने के मध्य अपनी फजीहत बचाने के लिए एटा और कासगंज के महाविद्यालयों में छापों के लिए उड़नदस्ता तो गठित कर दिया, लेकिन गठित उड़नदस्ते को वाहन का प्रबंध नहीं है। सिर्फ एक दिन वाहन भेजकर कोरम पूरा हो गया। दूसरी तरफ ग्रामीण क्षेत्र में परीक्षा के दौरान नकल का खेल चल रहा है। वहीं वाहन बिना उड़नदस्ता हाथ पर हाथ धरे बैठा है। जिससे मुख्य परीक्षाओं में इस तरह की स्थिति विश्वविद्यालय के द्वारा नकल को बढ़ावा दे रही है। जबकि परीक्षाएं शुरू होने से पहले केंद्र बनाने के लिए नियम कानूनों और संसाधनों को लेकर बड़ी-बड़ी बातें की गईं। बिना मानक कोई भी केंद्र नहीं बनाया जाएगा। इस बात को लेकर नोडल केंद्र प्रभारियों को रिपोर्ट देने के लिए कहा गया। इसके बाद केंद्र बनने और उन्हें बदले जाने की स्थितियों से सभी मानक धरे रह गए। ग्रामीण क्षेत्रों में ऐसे कॉलेजों को भी केंद्र बना दिया गया है, जहां तक पहुंचने के लिए पक्का रास्ता भी नहीं है। पेपर पहुंचाने और कॉपियां लाने में काफी वक्त लगता है।
केंद्रों पर कैमरे भी नहीं
तमाम केंद्रों पर कैमरे भी नहीं हैं। ऐसे में नकल रोक पाना विश्वविद्यालय के हाथ में दिख नहीं रहा है। हालांकि फजीहत से बचने के लिए विश्वविद्यालय ने उड़नदस्ता बनाया तो है, लेकिन यह भी कागजों पर ही दिख रहा है। क्योंकि तीन पालियों में होने वाली परीक्षा के लिए उड़नदस्ते को स्थायी तौर पर वाहन उपलब्ध नहीं कराया गया।