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खून के अवैध कारोबार पर कार्रवाई बेअसर

जागरण संवाददाता, एटा: खून के अवैध सौदागर बेखौफ काम कर रहे हैं। सरकारी ब्लड बैंक में खून की भले कमी हो जाए,लेकिन प्राइवेट बैंक में हमेशा खून मिल जाता है।

By JagranEdited By: Published: Mon, 13 Aug 2018 05:41 PM (IST)Updated: Mon, 13 Aug 2018 05:41 PM (IST)
खून के अवैध कारोबार पर कार्रवाई बेअसर
खून के अवैध कारोबार पर कार्रवाई बेअसर

जागरण संवाददाता, एटा: खून के अवैध सौदागर बेखौफ काम कर रहे हैं। सरकारी ब्लड बैंक में खून की भले कमी हो जाए, लेकिन इन लोगों पर हर ग्रुप का खून उपलब्ध है। यह बात अलग है कि उसका भरोसेमंद होना संदिग्ध होता है। एक महिला की शिकायत पर हाल ही में प्रशासन ने एक अवैध लैब पर कार्रवाई की, लेकिन इस तरह की लैब की आड़ में अन्य ब्लड बैंक भी चल रही हैं। जिन पर कार्रवाई का असर नजर नहीं आ रहा है।

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खून का अवैध कारोबार कोई नया नहीं है। पैथोलॉजी लैब की आड़ में इस काले धंधे को चलाया जाता है। इस तरह की लैब की संख्या बढ़कर आधा दर्जन तक पहुंच चुकी है। जहां हर समय किसी भी ग्रुप का खून उपलब्ध कराने का दावा किया जाता है। दरअसल, खून के कारोबारियों ने अपना पूरा नेटवर्क तैयार कर लिया है, जिसमें खून निकलवाने वाले भी तय हैं। नशेड़ी, रिक्शे-ठेल वाले, मजदूर आदि जरूरतमंद लोग इन ठिकानों के आसपास मंडराते रहते हैं, जिनके ब्लड ग्रुप का पूरा ब्यौरा लैब संचालकों के पास रहता है। जैसी मांग आती है, उसी ग्रुप के खून वाले व्यक्ति को बुला लिया जाता है। खून के बदले उन्हें महज 100 से 200 रुपये थमा दिए जाते हैं। जबकि इसी खून को वे दो से चार हजार रुपये तक में बेच लेते हैं। खून की सप्लाई मोटे तौर पर अवैध रूप से चल रहे प्रसव केंद्रों पर होती है। झोलाछाप से इनकी कमीशनखोरी तय होती है, जिसके चलते अधिकांश मामलों में प्रसव के दौरान खून की जरूरत बताते हुए मिलने वाली जगह भी समझा दी जाती है। हाल ही में पटियाली गेट पर एक पैथोलॉजी लैब में इस तरह के कारोबार की सूचना पर एसडीएम सदर महेंद्र ¨सह तंवर ने कार्रवाई करते हुए लैब को सील करा दिया। एक की गिरफ्तारी भी हुई, लेकिन लैब संचालक बच निकला। वह अभी भी फरार बताया गया है। हालांकि कार्रवाई के बावजूद दूसरे ब्लड बैंकों का धंधा बंद नहीं है। यह जरूरी है कि खून की खरीद-फरोख्त को और गुपचुप कर दिया गया है। सीएमओ डॉ. अजय अग्रवाल ने बताया कि सूचना या शिकायत पर छापामार कार्रवाई कराई जाती है। पिछले दिनों एक लैब संचालक को नोटिस भी जारी किया गया था। दो से चार गुना दाम में मिलता है खून

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ऐसा भी नहीं है कि इन अवैध ब्लड बैंकों से खून कोई सस्ता मिल जाता हो। जिला अस्पताल की अधिकृत ब्लड बैंक में जहां अस्पताल में भर्ती मरीजों को 410 तो प्राइवेट अस्पतालों के लिए 1050 रुपये की फीस है। जबकि अवैध ब्लड बैंक पर दो से चार हजार रुपये में दिया जाता है। अंतर इतना है कि सरकारी ब्लड बैंक में बदले में खून निकलवाना पड़ता है। जबकि अवैध ब्लड बैंक बदले में खून न लेने के रुपये ऐंठते हैं।


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