नवजात शिशुओं के इलाज को नाकाफी इंतजाम
एटा: नवजात शिशु देखभाल सप्ताह मनाया जा रहा है। लेकिन जिले में नवजातों के लिए इलाज तक की जरूरी सुविधा नहीं है।
जागरण संवाददाता, एटा: नवजात शिशु देखभाल सप्ताह मनाया जा रहा है। लेकिन जिले में नवजातों के लिए इलाज तक की जरूरी सुविधाएं मुहैया नहीं हैं। जिला महिला अस्पताल सहित किसी भी स्वास्थ्य केंद्र पर शिशु एवं बाल रोग विशेषज्ञ नहीं हैं।
जन्म के तुरंत बाद की स्थिति नवजात शिशुओं के लिए बहुत ही संवेदनशील होती है। लेकिन विभाग के पास इससे जूझने के कोई इंतजाम नहीं हैं। नवजात शिशुओं की जीवन रक्षा के लिए तमाम सहयोगी उपकरण और मशीनों को शामिल कर जिला महिला चिकित्सालय में एनबीएसयू की स्थापना तो हुई। लेकिन कोई विशेषज्ञ डॉक्टर न होने के कारण गंभीर अवस्था वाले नवजात शिशुओं का उपचार नहीं हो पाता है। परिजनों को शहर के निजी चिकित्सकों या दूसरे शहरों की दौड़ लगानी पड़ती है। सामुदायिक और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों की स्थिति भी ऐसी ही है। जो उपचार स्वास्थ्य केंद्रों में निश्शुल्क और बिना भागदौड़ मिल सकता है। उसके लिए लोगों को निजी चिकित्सकों के पास पहुंच भारी-भरकम कीमत भी अदा करनी पड़ती है। सीएमओ डॉ. अजय अग्रवाल का कहना है कि महिला अस्पताल परिसर में निर्माणाधीन मैटरनिटी ¨वग में अत्याधुनिक उपकरणों से लैस पीडियाट्रिक वार्ड बनाया जाएगा। जिसमें बच्चों के इलाज की उच्च स्तरीय व्यवस्थाएं रहेंगी। प्रसव केंद्रों पर बेबी कॉर्नर बनवाए गए हैं। महिला अस्पताल में हुआ हैल्दी बेबी शो: नवजात शिशु देखभाल सप्ताह के अंतर्गत जिला महिला अस्पताल में मंगलवार को हैल्दी बेबी शो का आयोजन किया गया। निर्धारित मानकों पर परीक्षण कर स्वस्थ बच्चों और उनके परिजनों को पुरस्कृत किया गया। इस दौरान सीएमएस डॉ. प्रदीप कुमार, डॉ. अनीता कुमारी, डॉ. सौरभ राजपूत, डॉ. निधि गुप्ता, डॉ. अंशुल गुप्ता, डॉ. सैफाली सक्सेना, प्रदीप कुमार, स्नेहलता, सतीश चंद्र आदि चिकित्सक व कर्मचारी मौजूद रहे।